जानुशिरासन
☸️जानुशिरासन☸️
🌸स्थिति,,, बैठकर । क्रम इस प्रकार है
(१) दाहिना पैर बाई जांघ पर पेट से एडी लगा कर रखो।
(२) दोनों ओर से हाथ उपर लाओ।
(३) दोनों हाथों से बांये पैर का अंगूठा पकड़ो।
(४) घुटने को सिर लगाओ पूर्णस्थिति ।
(५) सिर ऊपर करो।
(६) पैर छोड़ कर हाथ ऊपर तानो।
(७) हाथ स्थान पर रखो।
(8) पूर्वस्थिति । पैर बदल कर भी करो।
☸️समय - ३ मिनिट ।
🕉️ लाभ,,,पश्चिमोत्तानासन से कुछ कम लाभ होते हैं।अंडवृद्धि, अंतर्गल व नसों के विकार को विशेष लाभ मिलता है।
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☸️जानुशिर आसन☸️
✡️लाभ✡️ज़िगर, तिली, आतों और कमर के लिए लाभदायक है।ब्रह्मचर्य को हितप्रद है ।
✡️विधि✡️पांवों की एड़ी नीचे सीमन (गुदा और मूत्रेन्द्रिय के मध्य स्थान) पर दबाव डाल कर रहे । पहले एक टांग से फिर दूसरी टांग से ऐसे ही करें ।
✡️JANU-SHIR-ASANA✡️
☸️Benefits -Helpful in the observance of celibacy(Brahmacharya).
☸️Technique - The heel should sufficiently press the lower nerves. Press the abdomen inward.
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