बाणभट्ट का जीवन परिचय
बाणभट्ट का जीवनवृत्त एवं कृतित्व संस्कृत साहित्य में जितने भी गद्यकार हुए हैं, उनमें बाणभट्ट सर्वाधिक प्रतिभाशाली हैं। उनके वर्णनों को देखकर समीक्षक उन्हें वाणी का अवतार मानते थे। इसीलिए यह आभाणक (कहावत) भी प्रसिद्ध हुई कि-"वाणी बाणोबभूव।" बाणभट्ट ने अपने हर्षचरित के आरम्भिक 27 उच्छ्वासों में तथा कादम्बरी के आरम्भिक श्लोकों में अपने जीवन एवं वंश के सन्दर्भ में पर्याप्त जानकारियाँ दी हैं। तदनुसार गद्यकाव्य सम्राट् बाणभट्ट, चित्रभानु एवं राजदेवी की सन्तान थे। ये ब्राह्मण थे, तथा शोणनद के किनारे "प्रीतिकूट" (पटना) नामक स्थान पर रहते थे। इनके पिता धनी एवं विद्वान् व्यक्ति थे। बाण जब छोटे ही थे तो इनकी माता राजदेवी का निधन हो गया। पश्चात् जब बाण चौदह वर्ष के हुए तो पिता चित्रभानु भी इस संसार से विदा हो गये। उस समय वाण जवानी की देहली पर था। धनदौलत की कमी नहीं थी और संरक्षक का अभाव था, इसलिए वह उच्छृखल हो गया। वह देशाटन के लिए निकल गया-उन्होंने कई राजदरबारों की सैर की, नाटक मण्डलियाँ बनाईं कहीं पुराण बाँचा तो कहीं शास्त्रों का श्रवण किया। कुछ वर्ष बाद वे घर लौटे और सम्राट् हर्षवर्धन के चचेरे भाई श्री कृष्ण वर्धन के माध्यम से श्रीहर्ष की सभा में पहुँच कर अपनी विद्वता से उनके प्रधान सभा पण्डित बन गये।
श्रीहर्षवर्धन ने इतिहासानुसार 606 ई० से 648 ई० तक शासन किया है। अत: बाणभट्ट का स्थितिकाल छठी शताब्दी का उत्तरार्ध निश्चित माना जाता है। बाणभट्ट शैव थे।
रचनायें-बाणभट्ट की निम्नलिखित पाँच कृतियाँ मानी जाती हैं1. हर्षचरित, 2. कादम्बरी, 3. चण्डीशतक, 4. पार्वतीपरिणय, 5. मुकुटताडितक। इनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार
1. हर्षचरित-हर्षचरित गद्यकाव्य है। जो बाण ने अपने आश्रयदाता सम्राट हर्षवर्धन के जीवन को आधार बनाकर लिखा है। जो गद्यकाव्यों के कथा एवं आख्यायिका भेदों में से आख्यायिका के अन्तर्गत आता है। ऐतिहासिक महापुरुष के जीवन पर आधारित होने के कारण इसे आख्यायिका कहते हैं। इसमें आठ उच्छ्वास हैं। जिनमें से प्रारम्भिक 2, उच्छ्वासों में बाणभट्ट ने अपना जीवनवृत्त वर्णित किया है। 2. कादम्बरी-इसका वर्णन विस्तार से अन्त में किया जायेगा। 3. चण्डीशतक-इसमें स्रग्धरा छन्द में भगवती चण्डी की स्तुति है जो मार्कण्डेय पुराण के देवी माहात्म्य पर आधारित है। 4. पार्वतीपरिणय-यह नाटक है, जिसमें महादेव एवं पार्वती के विवाह का वर्णन है। इसमें पाँच अंक हैं। 5. मुकुटताडितक-महाभारत के कथानक पर आधारित यह भी एक नाटक है। इसमें भीमसेन अपने तीव्र गदा प्रहार से दुर्योधन की हत्या कर देते हैं।
5. कादम्बरी की कथावस्तु का सार संस्कृत साहित्य के गद्य सम्राट् बाणभट्ट के दो विख्यात गद्यकाव्यों में से "कादम्बरी" सुविख्यात गद्य काव्य है। काल्पनिक कथा पर आधारित होने के कारण यह कथा नामक गद्यकाव्य के अन्तर्गत आता है। बाणभट्ट की समृद्ध, परिपक्व एवं परिष्कृत प्रतिभा का यह उत्तम उदाहरण है। इसके दो भाग हैं पूर्वार्ध तथा उत्तरार्ध। ऐसा माना जाता है कि बाणभट्ट अपने जीवन काल में कादम्बरी का पूर्वार्ध जो कादम्बरी के भाग के बराबर है को ही रच पाये थे तथा बाद में उनके प्रतिभावान् पुत्र भूषण भट्ट (पुलिन्द) ने इसे पूरा करने के लिए उत्तरार्ध की रचना की थी। इसकी कथावस्तु संक्षेप में इस प्रकार है
कादम्बरी के आरम्भ में विदिशा के राजा शूद्रक की सभा में एक चाण्डाल कन्या ऐसे तोते को लेकर उपस्थित होती है जो मनुष्य की बाणी में बोलता है। यह पूछने पर कि इस तोते को कैसे पकड़ा ? वह तोता स्वयं ही मानुषी भाषा में अपना जीवनवृत्त सुनाता है तथा बताता है कि किस प्रकार वह ऋषि जाबालि के आश्रम में पहुँचा। जाबालि आश्रम में जाबालि उस तोते को उसके पूर्व जन्म की कथा सुनाते हैं। इस प्रसंग में चन्द्रापीड़ तथा उसके मित्र वैशम्पायन की कथा आती है। राजा चन्द्रापीड दिग्विजय के लिए हिमालय पर्वत की ओर जाता है और शिकार का पीछा करते-करते अच्छोद नामक तालाब पर पहुँच जाता है। वहाँ पर वह महाश्वेता के अलौकिक संगीत पर आकृष्ट हो जाता है तथा वहीं उसकी भेंट महाश्वेता की सखी "कादम्बरी" से होती है। चन्द्रापीड कादम्बरी से प्रेम करने लगता है। महाश्वेता भी उसे तपस्वी कुमार पुण्डरीक से हुए अपने अधूरे प्रेम की कहानी कहती है। चन्द्रापीड को उसका पिता दिग्विजय से वापिस उज्जैन बुला लेता है परन्तु वह हमेशा कादम्बरी के वियोग में डूबा रहता है। वह पत्रलेखा के माध्यम से कादम्बरी का समाचार प्राप्त करता है और प्रसन्न होता है। कादम्बरी का पूर्वार्ध यहीं समाप्त हो जाता है।
उत्तरार्ध में महाश्वेता चन्द्रापीड के मित्र है। वह दुःखी होकर मर जाता है। चन्द्रापीड भी मित्र की दशा सुनकर प्राण त्याग देता है। उनके पुनर्जीवित होने विषयक आकाशवाणी को सुनकर महाश्वेता और कादम्बरी राजकुमार के शरीर की रक्षा करती हैं। अन्त में पुण्डरीक तथा चन्द्रापीड सभी जीवित हो जाते हैं।
उपर्युक्त कथानक को बाण ने अपनी पैनी प्रतिभा से काव्यशास्त्रीय उपादानों अर्थात् रस, गुण, अलंकार रीति आदि से इतना सुसज्जित किया है कि यह गद्य-काव्य गद्यरचना का चूडान्त (सर्वश्रेष्ठ) निदर्शन बन गया है। विद्वज्जनों के लिए कादम्बरी एक ऐसा रसायन है जिसका आस्वादन करने वालों को आहार भी अच्छा नहीं लगता। अर्थात् जब विद्वज्जन कादम्बरी का अध्ययन कर रहे होते हैं। उस समय यदि भोजन करने की बात आये तो विद्वान् भोजन की अपेक्षा कादम्बरी पढ़ना अधिक अच्छा समझते हैं। इसीलिए कहा है कि "कादम्बरी रसज्ञानामाहारोऽपि न रोचते।"
Anish khan
ReplyDeleteSr no.78
Major history
Name -Riya
ReplyDeleteMajor -History
Sr. No. -76
Name -Riya
ReplyDeleteMajor -History
Sr. No. -76
Name Akshita Kumari Major Political Science Sr. No.70
ReplyDeleteTanu guleria Sr. No. 32
ReplyDeleteMajor Political science
Jagriti Sharma
ReplyDeleteSerial no. 2
Major-Hindi
Monikasharma sr no.26 major hindi
ReplyDeleteShivani Devi
ReplyDeleteSr no 46
Major Hindi
Minor history
Priyanka choudhary major political science and minor Hindi sr 12
ReplyDeleteRoshan sr no 31 major Hindi
DeleteRiya thakur
ReplyDeleteSr. No. 22
Major political science
Riya thakur
ReplyDeleteSr no. 22
Major political science
Anchal
ReplyDeleteSr.no 22
Major history
Monika kalia
ReplyDeleteSrno23
Major history
Sujata sharma
ReplyDeletemajor - history
sr. No. - 8
Mamta Devi sr no 147
ReplyDeleteMonika kalia
ReplyDeleteSrno23
Major history
Sujata sharma
ReplyDeletemajor - history
sr. No. - 8
Rishav sharma major pol science sr no 65
ReplyDeleteTaniya sharma
ReplyDeletePol. Science
Sr no. 21
Name: Priti
ReplyDeleteSr.no.24
Name:Palak
ReplyDeleteSr. No. 22
Major:Hindi
Pallavi pathania majer history sr.45
ReplyDeletesonali dhiman major political science Sr. no . 19
ReplyDeleteName rahul kumar
ReplyDeleteMajor history
Sr no. 92
Komal major hindi sr no 43
ReplyDeletePoonam devi sr no 23 major political science
ReplyDeleteSejal Kasav
ReplyDeleteMajor sub.- pol science
Minor sub.- hindi
Sr.no.-01
Sejal Kasav
ReplyDeleteMajor sub.- pol science
Minor sub.- hindi
Sr.no.-01
Name palvinder kaur major history sr no 9
ReplyDeleteMamta Bhardwaj
ReplyDeleteSr no 01
Major history
Name Priya major history sr no 6
ReplyDeleteTanvi Kumari
ReplyDeleteSR. No. 69
Major. Pol.science
Chetna choudhary Major pol science sr no 13
ReplyDeleteName Sakshi
ReplyDeleteSr no 14
Major Hindi
Minor history
Jyotika Kumari Major hindi Sr no 5
ReplyDeleteJyotika Kumari Major hindi Sr no 5
ReplyDeleteAnjli
ReplyDeleteMajor-Political science
Minor-history
sr.no-73
ReplyDeleteShivam choudhary
Sr. No. 78
Major political science
Pooja choudhary
ReplyDeleteSr no18
Major Hindi
Name Anu Devi
ReplyDeleteMajor History
Sr.no.85
Pallvi choudhary
ReplyDeleteMajor- pol. Sc
Minor- history
Sr. No-72
Anshika kumari
ReplyDeleteSr. no. 7
Anshika kumari
ReplyDeleteSr. No 7
Diksha Devi
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Sr. No. 50
Diksha Devi
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Sr. No. 50
Priyanka Devi
ReplyDeleteSr.no.23
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ReplyDeleteAkriti choudhary
ReplyDeleteMajor history
Sr.no 11
Name - Riya
ReplyDeleteSr.no.49
Major- political science
Minor- history
ReplyDeletePriyanka
roll number 1901hi059
simran devi
ReplyDelete1901hi077
major Hindi
2nd year
Shaweta choudhary
ReplyDelete1901hi038
Tanu Bala 1901hi079
ReplyDeleteShweta kumari 1901hi011
ReplyDeleteManisha 1901hi010
ReplyDeleteShikha manhas1901hi072
ReplyDeleteRiya sharma
ReplyDelete1901hi002
Kalpna choudhary Roll no 1901Hi065
ReplyDelete1801EN036 pooja
ReplyDeleteSakshi 1901hi005
ReplyDeleteVikas Verma
ReplyDelete76
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