कंचुकी

  🌻🌻कंचुकी संस्कृत नाटकों में अन्तःपुर अर्थात् रनिवास के वृद्ध एवं अनुभवी सेवक को कंचुकी कहते हैं। कंचुकी नामकरण का आधार इस सेवक द्वारा पहना जाने वाला कंचुक (लम्बा कुर्ता) है अर्थात् कंचुक धारण करने के कारण ही उसे कंचुकी कहते हैं। कंचुकी की परिभाषा भरतनाट्यशास्त्र में इस प्रकार दी गयी है

अन्तः पुरचरो वृद्धो विप्रो गुणगणान्वितः। 

सर्वकार्यकुशलः कंचुकीत्यभिधीयते॥ 

वृद्धत्व के कारण कामादि दोषों से रहित होने के कारण ही कंचुकी की नियुक्ति रानियों के महलों में की जाती थी

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