मंत्र 1️⃣6️⃣✡️1️⃣7️⃣✡️1️⃣8️⃣✡️1️⃣9️⃣✡️2️⃣0️⃣

 आचार्य ब्रह्मचारी होना चाहिये, प्रजापालक भी ब्रह्मचारी होना चाहिये। इस प्रकार का प्रजापति विशेष शोभता है। जो संयमी राजा होता है, वही इन्द्र कहलाता है।16।

ब्रह्मचर्य रूप तप के साधन से राजा राष्ट्र का विशेष संरक्षण करता है। आचार्य भी ब्रह्मचर्य के साथ रहने वाले ब्रह्मचारी की ही इच्छा करता है।।7।

कन्या ब्रह्मचर्य पालन करने के पश्चात् तरुण पति को प्राप्त करती है। बैल और घोड़ा भी ब्रह्मचर्य का पालन करने से ही घास खाता है।18।

ब्रह्मचर्य रूप तप से सब देवों ने मृत्यु को दूर किया। इन्द्र ब्रह्मचर्य से ही देवों को तेज देता है।191

औषधियां, वनस्पतियां, ऋतुओं के साथ गमन करने वाला संवत्सर, अहोरात्र, भूत और भविष्य- ये सब ब्रह्मचारी हो गये हैं।20।


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