श्रीमद्भगवद्गीता का सामान्य परिचय
महाभारत एक विशाल ग्रन्थ है। इसमें 18 पर्वों में एक लाख पद्य हैं। महाभारत में 18 पर्वो में से एक पर्व का नाम भीष्म पर्व है। इसी पर्व में (25 से 42 अध्याय तक) श्री कृष्ण ने मोहग्रस्त अर्जुन को जो उपदेश दिया है, उसका नाम भगवद्गीता है। यह उपदेश अठारह अध्यायों में 700 पद्यों में दिया गया है। इस उपदेश की उपमा कामधेनु तथा कल्पवृक्ष से की गई है। इसमें अध्यात्म-तत्त्व का विवेचन सरल तथा सुबोध भाषा में किया गया है। इसे नर तथा नारायण अथवा मनुष्य व ईश्वर के अनन्त व शाश्वत वार्तालाप माना गया है। वास्तव में यह ग्रन्थ उपनिषदों का सार है। बहुत-से मतावलम्बी आचार्यों ने गीता पर अपना भाष्य लिखकर अपने मत की श्रेष्ठता प्रमाणित की है। इनमें शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, माधवाचार्य तथा वल्लभाचार्य के नाम प्रमुख हैं। इसी सन्दर्भ में आधुनिक विद्वानों के नाम लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, अरविन्द घोष, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन तथा विनोवा भावे भी उल्लेखनीय हैं।
गीता का महत्त्व बहुत अधिक है। इसे सर्वशास्त्रमयी कहा गया है। गीता का अध्ययन कर लेने पर अन्य शास्त्रों के अध्ययन की आवश्यकता नहीं है। सभी विद्वानों ने गीता की मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की है। गीता में कर्त्तव्यनिष्ठा का सन्देश दिया गया है। इसका क्षेत्र सर्वव्यापक है। गीता की रचना एक विनाशकारी युद्ध से पहले हुई है। ऐसे समय में अर्जुन को समस्या उत्पन्न हुई कि युद्ध किया जाए या नहीं। इसका समाधान अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद के रूप में वर्णन किया गया है। इसी से यह मनोहर ज्ञान निकला है।
रचना काल गीता महाभारत के भीष्म पर्व में अध्याय 25 से 42 तक हैं। इस प्रकार महाभारत का रचना काल ही गीता का रचना काल है। अनेक विद्वानों ने काल निर्णय करते हुए परस्पर विरोधी मत व्यक्त किए हैं। लोकमान्य तिलक ने 'तिलक रहस्य' में महाभारत के युद्ध का समय 1400 ईस्वी पूर्व निश्चित किया है। भण्डाकार ने स्पष्ट किया है कि गीता की रचना चतुर्थ शताब्दी तक हो चुकी थी। डॉ० राधाकृष्णन गीता का समय पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व मानने के पक्ष में हैं।
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गीता संस्कृत साहित्य काल में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व का अमूल्य ग्रन्थ है। यह भगवान श्री कृष्ण के मुखारबिन्द से निकली दिव्य वाणी है। इसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। इसके संकलन कर्ता महर्षि वेद ब्यास को माना जाता है। आज गीता का विश्व की कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। जिससे इसकी कीर्ति दिगदिगंतर तक व्याप्त है। श्रीमद्भगवद्गीता एक ऎसा विलक्षण ग्रन्थ है जिसका पार आज तक कोई नहीं पाया है। इसका अध्ययन मनन चिन्तन करने पर नित्य नये भाव उत्पन्न होंगे कहा जाता है कि गीता में जितना भाव भरा है उतना बुद्धि में नहीं आता हैं। बुद्धि की एक सीमा है, और जब बुद्धि में आता है तब मन में नहीं आता और जब मन में आता है तब फिर कहने में नहीं आता है। यदि कहने में आता है तो लिखने में नहीं आता है। इस प्रकार गीता असीम है। गीता में ज्ञान योग, कर्मयोग, और भक्तियोग का वर्णन किया गया है। प्रस्तावना के अन्तर्गत गीता के 18 अध्यायों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया है। गीता को सामान्य जन समझ नहीं सकता है तो उसकी विषय में लिखना तो दूर। किन्तु गीता के विषय में कोई कुछ कहता है तो वह वास्तव में अपने बुद्धि का ही परिचय देता है -
श्रीमद्भगवद्गीता का परिचय
भगवदगीता संस्कृत महाकाव्य का ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व में अत्यन्त समादर प्राप्त ग्रन्थ है। इसमें भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को कुरूक्षेत्र युद्ध में दिया गया द्विव्य उपदेश है यह गीता वेदान्त दर्शन का सार है। यह ग्रन्थ महाभारत की एक घटना के रूप में प्राप्त होती है। महाभारत में वर्तमान कलियुग तक की घटनाओं का विवरण मिलता है। इसी युग के प्रारम्भ में आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने अपने मित्र तथा भक्त अर्जुन को यह गीता सुनाई थी।
गीता का रचनाकाल -
गीता के रचनाकाल के सम्बन्ध में डा0 रामकृष्ण गोपाल भण्डारकर ने चर्तुव्यूह को आधार मानकर सिद्ध किया है कि भगवदगीता की रचना सात्तवत या भागवत सम्प्रदाय की सुव्यस्थित होने के पूर्व हुई है उनके मत में इसका काल चौथी ई0पू0 का आरम्भ है तथा यह भक्ति सम्प्रदाय या ऐकान्तिक धर्म की प्राचीनतम व्याख्या है। यद्यपि गीता के काल निर्णय के बारे में भिन्न-भिन्न प्रकार की गवेशणाए भी हैं और आज भी हो रही है।
इसलिये गीता को महाभारत के भीष्म पर्व पर आधारित मानना उचित है महाभारत के भीष्म पर्व के 25 से 42 अध्याय के अन्तर्गत भगवदगीता आती है फिर शान्तिपर्व और अश्वमेधपर्व में भी गीता का कुछ प्रसंग उल्लिखित मिलता है।
भगवदगीता भागवत धर्म पर आधारित द्विव्य ग्रन्थ है इसकी रचनाकाल और सन्देश के विषय में विद्वानों में मतभेद है। पाश्चात्य विद्वानों का मानना है कि गीता में परस्पर विरोध विचारों का सामन्जस्य है। जो यह सिद्ध करता है कि एक व्यक्ति द्वारा रचित होना सम्भव नहीं है। बल्कि विभिन्न व्यक्तियों ने विभिन्न समयों में लिखा होगा। परन्तु भारतीय विचारक एवं चिन्तक मानतें है कि भागवत धर्म का अभ्युदयकाल ई0सन् के 1400 वर्ष पहले रहा होगा और गीता कुछ शताब्दियों के बाद प्रकाश में आयी होगी मूल भागवत धर्म भी निष्काम कर्म प्रधान होते हुये भी आगे चलकर भक्ति प्रधान स्वरूप धारण कर विशिष्टा द्वैत का समावेश कर लिया तथा प्रचलित हुआ।
गीता महाभारत का ही अंश है और यदि महाभारत काल निर्धारण है तो गीता का भी उसी आधार पर सहज ही लगाया जा सकता है महाभारत लक्ष श्लोकात्मक ग्रन्थ है और शक् के लगभग 500 पूर्व अस्तित्व में था- गार्वे के अनुसार ‘‘मूल गीता की रचना 200 ई0पू0 के लगभग हुई होगी ।
महाभारत ,गीता में साम्य -
महाभारत में 18 पर्व है जिनमें पूर्वार्द्ध में 6 पर्व है एवं उत्तरार्द्ध में 12 पर्व है। इस ग्रन्थ का महाभारत से बड़ा साम्य है महाभारत में 18 पर्व है वहीं गीता में 18 अध्याय है। जिसको 6-6 के क्रम से तीन भागों में बाटा जा सकता है पहले 6 अध्याय कर्मयोग पर आधारित है और 7-12 वें तक अध्याय भक्तियोग पर आधारित है और अन्तिम 6 अध्याय ज्ञान की पराकाष्ठा से ओत-प्रोत है और इस प्रकार पूरी गीता में महाभारत से कितना साम्य दिखलाई पडता है एक तरफ 7-7 अक्षौहिणी सेना थी तो दूसरी तरफ 11 अक्षौहिणी सेना ऎसे वातावरण में गीता कही गयी है, जो तत्व ज्ञान ऋशि महात्मा लोग गुफा कन्दराओं में रहकर प्रदान किये हैं वह भी गीता के तत्वज्ञान के सामने कुछ भी नहीं है। सम्पूर्ण गीता ग्रन्थ अष्टादश अध्यायों में विरचित है। प्रत्येक अध्याय एक-एक योग है। गीता की पृश्ठ भूमि युद्ध क्षेत्र है। भगवान श्री कृष्ण का मुख्य प्रयोजन मानव अवतार रूप धारण करके अधर्म का नाश और धर्म का उत्थान करना था- जो कि स्वयं कहते है-
‘‘ यदा-यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृजाम्यहम् ।।’’ (गीता 4/7)
कुरू क्षेत्र में युद्ध की तैयारी चल रही थी इस युद्ध का कारण राज्य के अधिकार क्षेत्र को लेकर था। कौरव अपने राज्य से सूई के नोंक के बराबर जमीन देने को तैयार नहीं थे। जबकि पूर्व में ही सहमति दी गयी थी इस वचन से विमुक्त होने पर युद्ध की पृश्ठ भूमि तैयार होना तय हो गया था। दोनो पक्ष से श्रेष्ठ वीर युद्ध भूमि में उपस्थित थे शारीरिक बल प्रयोग से इस झगडे का निपटारा होना है। कुरूक्षेत्र के युद्ध भूमि में एक तरफ पाण्डव सेना और दूसरी ओर कौरव सेना युद्ध के लिये सन्नद्ध खडी है। भगवान कृष्ण अर्जुन के सारथि है और रथ को दोनों सेनाओं के मध्य ले जाकर जब खडा कर देते है तब अर्जुन को मोह हो जाता है। क्योंकि सभी लोग युद्ध में अपने ही सगे सम्बन्धी थे अर्जुन को श्री कृष्ण समझाते हुये कहते हैं कि अपने स्वधर्म अर्थात् क्षत्रिय धर्म का पालन करो और अधर्म का नाश करके धर्म को विजयी बनाओ तर्क-वितर्क बुद्धि युक्त अर्जुन को बारम्बार श्री कृष्ण ‘स्वधर्म’ और अपने ‘स्वभाव’ के अनुसार निश्काम कर्म का पालन करने का उपदेश देते हैं। ध्यातव्य है कि गीता का उपदेश समाप्त होने पर श्री कृष्ण ने केवल यही कहा है कि ‘‘यथेच्छसि तथा कुरू’’ अर्थात् (गीता 18/63) जैसी तुम्हारी इच्छा हो वही करो और अर्जुन ने उत्तर दिया- आपकी कृपा से मेरा मोह नश्ट हो गया है। अत: जैसा आपने कहा है वैसा ही करूंगा-
‘‘करिश्ये वचनं तव’’ (गीता 18/73)
इस प्रकार हम देखते है कि सम्पूर्ण गीता में श्री कृष्ण परमात्मा के रूप में प्रतिश्ठित हैं। श्री कृष्ण अर्जुन को निश्काम कर्म का सदुपदेश देते हैं । गीता के ‘‘अश्टादश’’ अध्याय के विषय में अर्थात् 18 अंक को देखा जाय तो यह परिलक्षित होता है कि सम्पूर्ण चराचर जगत की सार्थकता 18 अंको में ही समाविश्ट है। क्योंकि जगत में 4 वेद, 4 युग, 4 वर्ण, 4 आश्रम इन्हीं सोलह शाखाओं रूपी वृक्ष के ऊपर जीवात्मा और परमात्मा रूपी दो पक्षियों का चिर निवास है जो मिलकर 18 हो जाते हैं-
‘‘ द्वासुपर्णा सुयजासखाया समानं वृक्षं परिशस्वजाते’’ (मु0 उप03/1/5) ।
गीता की श्लोक संख्या -
गीता की श्लोक संख्या को लेकर विद्वानों में प्राचीन काल से लेकर आज तक मतभेद विद्यमान है। आचार्य शंकर ने गीता पर अपना श्रीमदभगवद गीता शांकरभाश्य लिखा है और साथ ही श्लोंको की संख्या 700 मानकर गीता भाष्य की रचना की थी। परवर्ती भाष्यकार, टीकाकार और व्याख्याकारों ने शंकर के ही मत को स्वीकार किया है। वर्तमान मे प्रचलित गीता की श्लोक संख्या 700 ही मानी जा रही है। महाभारत के भीष्मपर्व के 25 से 42 अध्याय की भगवदगीता भी 700 श्लोकों में पूर्ण है।
गीता हिन्दू धर्म का प्राचीन ग्रन्थ है और यह प्रस्थानत्रयी के अन्तर्गत समावेशित है। इसकी प्रमाणिकता उपनिशदों और ‘ब्रम्हसूत्र‘ के बराबर मानी गयी है। भारत में जब बौद्ध धर्म का ह्रास हो गया था उस समय विभिन्न धर्म और उसके धर्मावलम्बी अपने-अपने मत को उत्कृष्ट रूप प्रदान करने के लिए उठ खडे हुये जिनमें से प्रमुख-अद्वैवत वाद, द्वैतवाद, शुद्धाद्वैतवाद, विशिष्टाद्वैतवाद आदि प्रमुख थे। गीता की विभिन्न टिकायें आचार्यों द्वारा एक ओर अपने मत के समर्थन, प्रोत्साहन और वृद्धि के लिए लिखी गयी तथा दूसरी ओर दूसरे सम्प्रदायों के खण्डन के लिए लिखी गई है।
Name Priyanka sr no39
ReplyDeleteMonikasharma sr no.26
ReplyDeleteMajor hindi
Name priyanka sr no39 major hindi
ReplyDeleteName:Priti
ReplyDeleteSr.no.24
Major:hindi
Name . vishal bharti
ReplyDeleteSr.no.16
Major history
ReplyDeleteSr .no50
Serial no. 2
ReplyDeleteMajor hindi
Major english
ReplyDeleteSr no 5
Arti sharma
ReplyDeleteMajor Hindi
Sr.no32
Arti sharma
ReplyDeleteMajor Hindi
Sr.no32
Nidhi Sharma
ReplyDeleteSr.no.22
Major English
Name ritika sr no 8
ReplyDeleteName=Ranjana devi
ReplyDeletesr no=40
Major hindi name Leela SR no 41
ReplyDeleteName :Palak
ReplyDeleteSr. No. :22
Major: Hindi
Monika dadwal
ReplyDeleteMajor History
Sr No. 72
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ReplyDeleteKomal sr no 43
ReplyDeleteName komal sr.no.43 major Hindi
ReplyDeleteName-Riya
ReplyDeleteMajor -History
Sr.no.76
Major hindi
ReplyDeleteName shweta sharma
Sr no.36
Name_priya
ReplyDeleteMajor_History
Sr.no_6
name akanksha sharma
ReplyDeletesr no 13
name akanksha sharma
ReplyDeletesr no 13
Anish khan
ReplyDeleteSR no. 78
HISTORY
Sajid khan
ReplyDeleteSr no. 86
History
Name-Monika
ReplyDeleteSr.no-23
Major-history
Name-Monika
ReplyDeleteSr.no-23
Major-history
Mohini sharma
ReplyDeleteSr no. 18
History
Kartik dhiman
ReplyDeleteMajor English
No serial number (fee deposit online )
Name manta Devi
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Sr no 147
Pritika
ReplyDeleteMajor history
Sr no.39
Serial no. 2
ReplyDeleteMajor- Hindi
Taniya devi srno.37
ReplyDeleteARTI SHARMA SR NO 32
ReplyDeleteName alka sr no. , 6 majer hindi
ReplyDeletePooja choudhary
ReplyDeleteSr no. 18
Major Hindi
Jyotika Kumari .Sr no .5 .major Hindi.
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ReplyDeletePriyanka Devi
ReplyDeleteSr.no.23
Hajor history
Akriti choudhary
ReplyDeleteMajor history
Sr.11
Ankita Kumari Roll No 1901Hi035
ReplyDeleteAnshika kumari
ReplyDeleteRoll no. 7
Major hindi
Ishita
ReplyDeleteRoll no 1901HI070
Richa
ReplyDeleteSr.no 35
Major hindi
Richa sr no 35
ReplyDeleteIsha
ReplyDeleteMajor History
Sr . No 10
SHIKHA DEVI
ReplyDeleteMAJOR ( English)
Sr.No (15)
Shivani Devi
ReplyDeleteSr no 46
major Hindi
Shivani Devi
ReplyDeleteSr no 46
major Hindi
Major history
ReplyDeleteSr no 29
Name poonam devi
ReplyDeleteSr no 23
Major political science
Riya thakur
ReplyDeleteMajor political science
Kartik dhiman
ReplyDeleteMajor English
Sr. No.- 06
Major Hindi
ReplyDeleteSR no 16
Kajal pathania major history sr no 14
ReplyDeleteShivani Devi
ReplyDeleteSr no 46
Major Hindi
Minor history
Nidhi sharma
ReplyDeleteSr.no.22
Major english
Monika kalia
ReplyDeleteSrno23
Major history
Monika kalia
ReplyDeleteSrno23
Major history
Sourabh Singh Major Hindi minor History SR.no 20
ReplyDeleteName Ranjana devi
ReplyDeletesr no 40
Major hindi
Sanjna Dhiman
ReplyDeleteSr No 10
Major English
Jagriti Sharma
ReplyDeleteSerial no. 2
Major-Hindi
Akriti choudhary
ReplyDeleteMajor history
Sr.no 11
Mamta Devi sr no 147
ReplyDeleteAnshika Kumari
ReplyDeleteSr. No. 7
Name rahul kumar
ReplyDeleteMajor history
Sr no. 92
Akanksja sharma sr no 13
ReplyDeleteMajor hindi
VIVEk Kumar Pol science sr no 38 dehri
ReplyDeleteArti sharma
ReplyDeleteSr no 32
Major history
ReplyDeleteSr no 29
Monikasharma sr no.26 major hindi
ReplyDeleteIsha
ReplyDeleteMajor history
Sr no 10
Leela devi sr no 41
ReplyDeleteMajor hindi
Isha devi
ReplyDeleteMajor history
Sr. No 28
Name:Priti
ReplyDeleteSr.no.24
Komal major hindi sr no 43
ReplyDeleteSr no.86
ReplyDeleteMajor history
Name:Palak
ReplyDeleteSr. No. 22
Major:Hindi
Rishav sharma major pol science sr no 65
ReplyDeleteManu major history sr no 75
ReplyDeletePritika
ReplyDeleteMajor history
Sr no.39
Tanu Bala 1901hi079
ReplyDeleteDiksha Devi
ReplyDeleteMajor history
Sr. No. 50
Monikasharma sr no.26 major hindi
ReplyDeleteAnjli
ReplyDeleteMajor-Political science
Minor-history
Sr.no-73
Kartikdhiman sr no06
ReplyDeleteMajor English dehri collage
Name -Riya
ReplyDeleteMajor -History
Sr. No. -76
Name -Riya
ReplyDeleteMajor -History
Sr. No. -76
Sujata sharma major history sr. No 8
ReplyDeletePritika major history
ReplyDeleteSr no.39
Arpana Devi serial no 50 major Hindi
ReplyDeleteArpana Devi serial no 50 major Hindi
ReplyDeleteSejal
ReplyDeleteSr no.3
Major English
Priyanka devi serial no 25 major Hindi
ReplyDeleteLeela devi sr no 41
ReplyDeleteMajor hindi
Monika kalia
ReplyDeleteSrno23
Major history
Monika kalia
ReplyDeleteSrno23
Major history
Monika kalia
ReplyDeleteSrno23
Major history
MAmta Devi major history
ReplyDeleteShivani Devi
ReplyDeleteSr No. 46
Major Hindi
Minor History
Rahul kumar
ReplyDeleteMajor history
Sry no. 92
Manu
ReplyDeletemajor history
sr no 75
Taniya devi sr no37
ReplyDeleteJagriti Sharma
ReplyDeleteSerial no. 2
Major- Hindi
Sourabh singh major Hindi minor history Sr no 20
ReplyDeleteAkanksha sharma sr no 13 major hindi
ReplyDeleteArti sharma
ReplyDeleteSr 32
Major hindi
Name rahul kumar
ReplyDeleteMajor history.
Sr no. 92
Sr no.86
ReplyDeleteMajor history
Name Roshan sr no 31 major hindi
ReplyDeleteSanjna Dhiman
ReplyDeleteSr no. 10 Major English
Nikita koundal
ReplyDeleteSr no 27
Major history
Anish khan
ReplyDeleteSr no.78
Major history
Komal major hindi sr no 43
ReplyDeleteIsha
ReplyDeleteMajor history
Sr.no 10
Anshika kumari
ReplyDeleteSr. No. 7
Name Simran kour
ReplyDeleteSr no 36
Major history
Sr no.36
ReplyDeleteMajor hindi
Sr no.36
ReplyDeleteMajor hindi
Manisha 1901hi054
ReplyDeleteName palvinder kaur major history sr no 9 minor hindi
ReplyDeleteName -Riya
ReplyDeleteMajor -History
Sr. No. -76
Name -Riya
ReplyDeleteMajor -History
Sr. No. -76
Name Ranjana devi
ReplyDeletesr no 40
Major hindi
Name - sujata sharma
ReplyDeleteMajor-history
Sr. No. 8
Name komal major hindi sr no 43
ReplyDeleteName Rahul kumar
ReplyDeleteMajor history
Sr no. 92
Sanjana Dhiman
ReplyDeleteSr no 10
Major English
Anjli
ReplyDeleteMajor political science
Minor history
sr.no 73
Shweta sharma
ReplyDeleteSr no.36
Major hindi
Minor history
Shweta sharma
ReplyDeleteSr no.36
Major hindi
Minor history
Arpana Devi serial no 50 major Hindi minor history
ReplyDeletePriyanka Devi serial no 25 major Hindi and minor history
ReplyDeletePriyanka Devi serial no 25 major Hindi and minor history
ReplyDeleteName monikasharma
ReplyDeleteMajor hindi sr no.26
Sejal
ReplyDeleteMajor English
Sr no.3
Sourabh singh major Hindi minor history Sr no 20
ReplyDeleteName:Priti
ReplyDeleteSr.no.24
Anshika kumari
ReplyDeleteSr. No. 7
Name jyotika Kumari Major hindi Sr no 5
ReplyDeleteName jyotika Kumari Major hindi Sr no 5
ReplyDeleteName jyotika Kumari Major hindi Sr no 5
ReplyDeleteName Rahul kumar
ReplyDeleteMajor history
Sr no. 92
MAmta Devi major history sr no77
ReplyDeleteName Rahul kumar
ReplyDeleteMajor history
Sr no. 92
Ruchika 1901hi048
ReplyDeleteSejal Mehta
ReplyDeleteSr no 33
Major Hindi
Name jyotika Kumari Major hindi Sr no 5
ReplyDeleteName Rahul kumar
ReplyDeleteMajor history
Sr.no.92
Name Ranjana Devi
ReplyDeleteSr no 40
Major Hindi
Name-sakshi Major-English Rollno.---2007MA004
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