रत्नाकर'

 रत्नाकर'हरविजय नामक महाकव्य के प्रणेता । पिता-

अमृतभानु । काश्मीर - नरश चिपट जयापीड (800 ई.) के

सभा-पंडित । कल्हण की 'गजतरंगिणी' में इन्हें अवंतिव्मा के

राज्यकाल में प्रसिद्धि प्राप्त हाने का उल्लेख है। ये ई. 9

वीं शती के प्रथमार्ध तक विद्यमान थ । 'हरविजय' का प्रकाशन

काव्यमाला संस्कृत सीरीज मुंबई से हो चुका हे। रत्नाकर ने

माघ की ख्याति को दबाने के लिये ही 'हरविजय' महाकाव्य

का प्रणयन किया था।


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