समास
🌻समास 🌻
🌺 परिभाषा🌺समास का शाब्दिक अर्थ है-संक्षेप। (समसनं समासः ) इसलिए जब दो या दो से अधिक शब्दों के बीच की विभक्तियों को हटाकर उन्हें एकपद बना दिया जाता है, तो वह समास कहलाता है।
(अनेकपदानाम् एकीभवनम् समासः )
इसे हम पहले हिन्दी के एक उदाहरण से समझते हैं-रसोई के लिए घर - रसोईघर।
इस उदाहरण में रसोई और घर दो पद हैं। बीच में के लिए चतुर्थी विभक्ति है समास करके हमने चतुर्थी विभक्ति हटाकर दोनों पदों को एक बना दिया है। इसी प्रकार संस्कृत में रजकस्य गृहे = रजकगृहे। यहाँ रजकस्य तथा गृहे दो पद हैं, बीच में रजक के साथ षष्ठी विभक्ति है। समास करते समय हम षष्ठी विभक्ति के चिह्न "स्य" को हटाकर दोनों पदों को एक पद बना देते हैं।
🌺 विग्रह🌺
जब दो या दो से अधिक पदों के बीच की विभक्तियों को हटाकर एक पद बना दिया जाता है, उसे समस्तपद कहा जाता है। जैसे रजकगृहे। परन्तु जब समस्तपद के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए पुन: लुप्त विभक्तियों को जोड़ दिया जाता है; तो उसे विग्रह कहते हैं।
(पदार्थावबोधकवाक्यं विग्रहः ।)
जैसे-रजकगृहै रजकस्य गृहे
या भूतबलिः(भोजनम्)भूतेभ्यः बलिः
🌻 समास के सम्बन्ध में जानने योग्य तथ्य🌻
💫(1) समास में कम से कम दो पद तो अवश्य ही मिले होते हैं। अर्थात् एक ही पद में समास नहीं हो सकता।
💫(2) समास करने पर अन्तिमपद से पहले के सभी पदों की विभक्तियाँ हटा दी जाती हैं।
💫(3) अन्तिमपद की विभक्ति ज्यों की त्यों रहती है या अर्थानुसार उसमें विभक्तिः जोड़ी जाती है।
💫(4) जिन दो पदों अधिकपदों में समास किया जाता है; उन्हें एकपद बनाना आवश्यक होता है। एकपद बनाने के लिए हम समस्तपद पर एक ही शिरोरेखा (Headline) लगा देते हैं। जैसे-रजकगृहे।
यदि एक शिरोरेखा नहीं लगानी हो तो समस्तपदों (Compound Words) के मध्य योजकचिह्न (-) डाल दिया जाता है। ऐसा करने पर भी वे सभी पद जिनके बीच में योजकचिह्न हो एक पद माने जाते हैं तथा यह समझा जाता है कि इनके बीच की विभक्तियों का लोप हुआ है। एक शिरोरेखा या योजक-चिह्न न लगाने पर दोनों पदों का अर्थ स्वतन्त्र होगा। इसे हम हिन्दी के एक उदाहरण से इस प्रकार समझ सकते हैं-
रोगियों के लिए वाहन का समस्तपद होगा = रोगीवाहन (Ambulance) इसे हम रोगी-वाहन इसप्रकार योजकचिह्न लगाकर लिख दें तो भी वही अर्थ होगा। परन्तु यदि इन दो पदों पर न तो एक शिरोरेखा लगायें न योजकचिह्न लगायें और न हीं चतुर्थी-विभक्ति लगायें और लिख दें-"रोगी वाहन"तो इन पदों का अर्थ होगा कि यह जो वाहन है वह रोगी अर्थात् खराब है यानि (Defected Vehicle) । इसप्रकार एक पद न बनाने से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। अत: इस तथ्य पर अवश्य ही ध्यान देना चाहिए।
💫(5) दो पदों के बीच से विभक्ति के हटने पर यदि कोई सन्धि नियम लागू होता है तो सन्धि अवश्य होती है।(नित्यसमासे) जैसे-रामस्य इच्छा = रामेच्छा यहाँ पर अ + इ = ए गुणसन्धि हुई है।
💫(6) समस्तपद मिलकर ही किसी विशेष अर्थ को प्रकट करने की शक्ति रखते हैं, अकेले-अकेले नहीं। जैसे राज्ञः पुरुषः ,राजपुरुषः । यहाँ पहले पद का अर्थ राजा और दूसरे का पुरुष है तथापि इन दोनों का सम्मिलित अर्थ होगा राजा का सेवक।
🌼 समास की आवश्यकता🌼
💫1. श्रमलाघव-समास से भाषा में लाघव आता है। यानि अधिक लिखना और बोलना नहीं पड़ता। जैसे-महान् है जो पुरुष के स्थान हम महापुरुष बोल और लिख सकते हैं। इनके ज्ञान से कक्षा में शिक्षक के कथन के नोट आसानी से बनाये जा सकते हैं। किसी के भाषण को आसानी से लिखा जा सकता है। समास (Short hand) लिपि का ही एक रूप है।
💫2. भाषा-परिपक्वता एवं सौन्दर्य-भाषा में परिपक्वता (Standard) और सौन्दर्य आता है। जैसे महान् जो पुरुष
होते हैं, वे पर उपकार में ही लगे रहते हैं।
यह वाक्य समास रहित है। अब समास करने पर इसी वाक्य का सौन्दर्य देखें महापुरुष परोपकार में ही लगे रहते हैं। स्पष्ट है कि दूसरे वाक्यों को बोलने और लिखने वाले में भाषा ज्ञान की परिपक्वता है।
🏵️ समासभेद🏵️
समास के मुख्यरूप से चार भेद हैं-
1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. द्वन्द्व समास
4. बहुव्रीहि समास
कर्मधारय एवं द्विगु तत्पुरुष के ही दो अन्य भेद हैं। इनको जोड़कर कभी-कभी समास के छ भेद बता दिये जाते हैं।
🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼
समास के प्रकार के विषय में हम अगली कक्षा में पड़ेगे
सभी को अध्यापक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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जैसे-रजकगृहै रजकस्य गृहे
या भूतबलिः(भोजनम्)भूतेभ्यः बलिः
🌻 समास के सम्बन्ध में जानने योग्य तथ्य🌻
💫(1) समास में कम से कम दो पद तो अवश्य ही मिले होते हैं। अर्थात् एक ही पद में समास नहीं हो सकता।
💫(2) समास करने पर अन्तिमपद से पहले के सभी पदों की विभक्तियाँ हटा दी जाती हैं।
💫(3) अन्तिमपद की विभक्ति ज्यों की त्यों रहती है या अर्थानुसार उसमें विभक्तिः जोड़ी जाती है।
💫(4) जिन दो पदों अधिकपदों में समास किया जाता है; उन्हें एकपद बनाना आवश्यक होता है। एकपद बनाने के लिए हम समस्तपद पर एक ही शिरोरेखा (Headline) लगा देते हैं। जैसे-रजकगृहे।
यदि एक शिरोरेखा नहीं लगानी हो तो समस्तपदों (Compound Words) के मध्य योजकचिह्न (-) डाल दिया जाता है। ऐसा करने पर भी वे सभी पद जिनके बीच में योजकचिह्न हो एक पद माने जाते हैं तथा यह समझा जाता है कि इनके बीच की विभक्तियों का लोप हुआ है। एक शिरोरेखा या योजक-चिह्न न लगाने पर दोनों पदों का अर्थ स्वतन्त्र होगा। इसे हम हिन्दी के एक उदाहरण से इस प्रकार समझ सकते हैं-
रोगियों के लिए वाहन का समस्तपद होगा = रोगीवाहन (Ambulance) इसे हम रोगी-वाहन इसप्रकार योजकचिह्न लगाकर लिख दें तो भी वही अर्थ होगा। परन्तु यदि इन दो पदों पर न तो एक शिरोरेखा लगायें न योजकचिह्न लगायें और न हीं चतुर्थी-विभक्ति लगायें और लिख दें-"रोगी वाहन"तो इन पदों का अर्थ होगा कि यह जो वाहन है वह रोगी अर्थात् खराब है यानि (Defected Vehicle) । इसप्रकार एक पद न बनाने से अर्थ का अनर्थ हो जाता है। अत: इस तथ्य पर अवश्य ही ध्यान देना चाहिए।
💫(5) दो पदों के बीच से विभक्ति के हटने पर यदि कोई सन्धि नियम लागू होता है तो सन्धि अवश्य होती है।(नित्यसमासे) जैसे-रामस्य इच्छा = रामेच्छा यहाँ पर अ + इ = ए गुणसन्धि हुई है।
💫(6) समस्तपद मिलकर ही किसी विशेष अर्थ को प्रकट करने की शक्ति रखते हैं, अकेले-अकेले नहीं। जैसे राज्ञः पुरुषः ,राजपुरुषः । यहाँ पहले पद का अर्थ राजा और दूसरे का पुरुष है तथापि इन दोनों का सम्मिलित अर्थ होगा राजा का सेवक।
🌼 समास की आवश्यकता🌼
💫1. श्रमलाघव-समास से भाषा में लाघव आता है। यानि अधिक लिखना और बोलना नहीं पड़ता। जैसे-महान् है जो पुरुष के स्थान हम महापुरुष बोल और लिख सकते हैं। इनके ज्ञान से कक्षा में शिक्षक के कथन के नोट आसानी से बनाये जा सकते हैं। किसी के भाषण को आसानी से लिखा जा सकता है। समास (Short hand) लिपि का ही एक रूप है।
💫2. भाषा-परिपक्वता एवं सौन्दर्य-भाषा में परिपक्वता (Standard) और सौन्दर्य आता है। जैसे महान् जो पुरुष
होते हैं, वे पर उपकार में ही लगे रहते हैं।
यह वाक्य समास रहित है। अब समास करने पर इसी वाक्य का सौन्दर्य देखें महापुरुष परोपकार में ही लगे रहते हैं। स्पष्ट है कि दूसरे वाक्यों को बोलने और लिखने वाले में भाषा ज्ञान की परिपक्वता है।
🏵️ समासभेद🏵️
समास के मुख्यरूप से चार भेद हैं-
1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. द्वन्द्व समास
4. बहुव्रीहि समास
कर्मधारय एवं द्विगु तत्पुरुष के ही दो अन्य भेद हैं। इनको जोड़कर कभी-कभी समास के छ भेद बता दिये जाते हैं।
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समास के प्रकार के विषय में हम अगली कक्षा में पड़ेगे
सभी को अध्यापक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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Nitika 1901hi067
ReplyDelete1901HI029 pooja
ReplyDeleteNitika 1901hi067
ReplyDeleteShweta kumari 1901hi011
ReplyDeleteManisha 1901hi01
ReplyDeleteManisha 1901hi010
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ReplyDeletePriyanka
1901HI059
Ankita Kumari Roll No 1901Hi035
ReplyDeleteKalpna choudhary Roll no 1901HI065
ReplyDeleteKalpna choudhary Roll no 1901HI065
ReplyDeleteSiya pathania 1901hi074
ReplyDeleteSonali Devi 1901hi039
ReplyDeleteShaveta kaler 1901hi058
ReplyDeletePriyanka 1901Hi034
ReplyDeleteAnubala180hi058
ReplyDeleteShivani Sharma 1901hi022
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