ण्वुल प्रत्यय

 🌼ण्वुल प्रत्यय🌼

ण्वुल प्रत्यय का प्रयोग सभी धातुओं यानि परस्मैपदी एवं आत्मनेपदी से हो सकता है। यह प्रत्यय कर्ता अर्थ को यानि
"करने वाला" इस अर्थ को प्रकट करता है। ण्वुल् प्रत्यय के ण् तथा ल् की इत्संज्ञा होकर उनका लोप हो जाता है और
केवल "वु" शेष रहता है। "वु" को "युवोरनाकौ" सूत्र से "अक" आदेश हो जाता है।
ण्वुल् प्रत्ययान्त उदाहरण
कृ= करना + ण्वुल = कारक:करने वाला (करोतीति कारक:)
पच् = पकाना + ण्वुल् = पाचक: पकाने वाला (पचतीति पाचक:)
पत् = पढ़ना + ण्वुल =पाठक: पढ़ने वाला (पठति इति पाठक:)
हन्= मारना + ण्वुल=घातक: मारने वाला (हन्ति इति घातकः)
दा-देना + ण्वुल् = दायक: देने वाला (ददाति इति दायकः)
दृश् =  + ण्वुल् = दर्शक: देखने वाला (पश्यति इति)
धृ =  +ण्वुल = धारक: धारण करने वाला (धारयति इति धारकः)
हृ=  + ण्वुल = हारक: हरण करने वाला (हरति इति हारकः)
चल =  + ण्वुल् = चालक: चलाने वाला (चालयति इति चालक:)
पल् = + ण्वुल = पालक: पालन करने वाला (पालयति इति पालक:)

(ii) कुछ धातुओं से ण्वुल् प्रत्यय करने पर आदि वृद्धि नहीं होती है। जैसे ऊपर लिखित उदाहरणों में कृ की ऋ को आर्, पत के प में विद्यमान् अ को आ वृद्धि हुई है। यथा:-
शम् = शान्त करना + ण्वुल् = शमक: (शमयति इति शमक:) शान्त करने वाला
दम् = दमन करना + ण्वुल = दमकः (दमयति इति दमकः) दमन करने वाला
वध् = हत्या करना + ण्वुल = वधकः (वध करने वाला) वध करने वाला
जन् = जन्म देना + ण्वुल = जनक: (जनयति इति जनकः) जन्म देने वाला।

(ii) कतिपय धातुओं से ण्वुल प्रत्यय जोड़ने पर रोगों के नाम भी बनते हैं। यथा:-
प्र + वह् = वहना + ण्वुल = प्रवाहिका ,,पेचिस (दस्त) रोग
प्र + छद् = कै  + ण्वुल् = प्रच्छर्दिका (उलटी आने का रोग)
वि + चर्च् ,खुजली होना+पवुल् =विचर्चिका (खाज-खुजली का रोग)

(iv) कभी-कभी ण्वुल प्रत्यय करने पर भाववाचक शब्द बनते हैं। जो केवल उस-उस धातु के अर्थ को ही प्रकट
करते हैं यथा:-
आस् = बैठना + ण्वुल् = आसिका = बैठना
शी = सोना + ण्वुल् = शायिका = सोना।

Comments

  1. Kalpna choudhary Roll no 1901HI065

    ReplyDelete
  2. simran devi
    1901hi077
    major Hindi
    2nd year

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

ईशावास्योपनिषद 18 मंत्र

महाकवि दण्डी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व जीवन-चरित-

भर्तृहरि की रचनाएँ