प्रत्यय परिभाषा ,,,🌼कृत प्रत्यय🌼

 🏵️कृत् प्रत्यय🏵️

प्रत्यय-कृत प्रत्यय की परिभाषा जानने से पूर्व यह जान लेना आवश्यक है कि प्रत्यय किसे कहते हैं ? इसलिए
कहा जा रहा है कि ऐसे शब्दांश जो शब्दों के अन्त में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं। उन्हें प्रत्यय Suffix कहा जाता है। 
जैसे-गम् + क्त्वा = गत्वा।
      पठ् + अनीयर् = पठनीय । 
      विनता + ढक् = वैनतेय।
      शरीर + ठक = शारीरिक आदि । 

🌼उपसर्ग 🌼
 धातु या अन्य शब्दों के आरम्भ में जुड़कर उनके अर्थ में परिवर्तन करते हैं या अर्थ में विशेषता लाते हैं। 
जैसे-हार का अर्थ है पराजय परन्तु जब इसके साथ वि उपसर्ग जोड़ा जायेगा तो विहार बनेगा जिसका अर्थ होगा "घूमना" इसी प्रकार प्रहार = प्रहार (चोट), आ + हार = आहार(भोजन), सम् + हार = संहार (समाप्ति) । कथन से प्र जोड़ने पर प्रकथन का अर्थ होगा विशेष कथन। यहाँ उपसर्ग द्वारा अर्थ में केवल विशेषता लायी गयी है। उपसर्ग संख्या में 22 होते हैं।
 जैसे-प्र, परा, अप, सम्, अनु, अब, निस्.निर, इस. दुर ,वि. आर (आ), नि, अधि, अपि, अति , सु, उत्, अभि, प्रति, परि, उप।अंग्रेजी में उपसर्गों को Prefix कहते हैं।

🌺उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि जो शब्दांश शब्दों के आरम्भ में जुड़ते हैं, उन्हें उपसर्ग और जो शब्दांश शब्दों के अन्त में जुड़ते है । उन्हे प्रत्यय कहते हैं।

🏵️ कृत् प्रत्यय-
प्रत्यय कृत, तद्धित एवं स्त्री, सुप, तिङ् आदि भेदों से कई प्रकार के होते हैं। यहाँ केवल कृत् प्रत्ययों को परिभाषित किया जा रहा है-
ऐसे प्रत्यय जो धातुओं (मूल क्रियाओं) के अन्त में जुडकर संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण या अव्यय बनाते हैं, उन्हें कृत् प्रत्यय कहते हैं। जो शब्द कृत् प्रत्यय जोड़कर बनाये जाते हैं। उन्हें कृदन्त (कृत् + अन्त) शब्द कहते हैं। 
जैसे–दा + तव्यत् ="दातव्यम्" यह कृदन्त शब्द हुआ। 
इसीप्रकार गम् + क्त गतः तथा कृ + तृच् = कर्तृ ये कृदन्त शब्द हैं।

👉कत्वा ,तुमन, ण्यत्, यत्, क्त, क्तवतु, ल्यप्, शतृ, शानच, तव्यत् , अनीयर् ण्वुल, तृच, अण् तथा ल्युट् आदि सभी कृत प्रत्यय है। अत: यहां उन्हीं का विवेचन किया जा रहा है।

Comments

  1. Kalpna choudhary Roll no 1901HI065

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  2. simran devi
    1901hi077
    major hindi
    2nd year

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  3. simran devi
    1901hi077
    major Hindi
    2nd year

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