गंगदत्तमण्डूककथा

  (ii) गंगदत्तमण्डूककथा

 किसी कुएँ में गङ्गदत्त नाम का एक मेंढकों का राजा रहता था। किसी समय उसके सगे सम्बन्धियों ने उसको अतीव अपमानित किया। जिससे उद्विग्न होकर वह उस कुएँ में लगे अरघट्ट की घटिकाओं यानि डिब्बों के सहारे कुएँ से बाहर आ गया। बाहर आकर वह सोचने लगा कि कैसे न कैसे मैं उन अपने उत्तराधिकारियों से बदला अवश्य लूँगा। क्रोधावेग से प्रज्वलित वह ऐसा सोच ही रहा था कि उसे बिल में प्रवेश करता हुआ एक काला साँप दिखाई दिया। उसे देखकर उसने सोचा कि क्यों न इसे कुएँ में ले जाकर अपने समस्त वंशजों का नाश करवा दूँ! क्योंकि नीति भी यही कहती है कि शत्रु को शत्रु से लड़ाकर अपना हित साधना चाहिए। ऐसा सोचकर वह उस सर्प के बिल के समीप गया और बोलाहे प्रियदर्शन! बाहर आओ बाहर आओ। इस सम्बोधन को सुनकर प्रियदर्शन नामक वह सर्प सोचने लगा कि यह जो कोई मुझे बुला रहा है, वह मेरी जाति का तो है नहीं क्योंकि यह आवाज़ सर्प की नहीं है तथा इस संसार में अन्य किसी से मेरा मेल-जोल नहीं हैं। इसलिए बिल के अन्दर-रहकर ही जानने का प्रयास करता हूँ कि यह आवाज़ किसकी है। क्योंकि बृहस्पति ने कहा है कि


यस्य न ज्ञायते शीलं न कुलं न च संश्रयः ।

न तेन संगतिं कुर्ष्यादित्युवाच बृहस्पतिः ।। अर्थात् जिसके स्वभाव कुल और निवास का पता न हो उससे मैत्री नहीं करनी चाहिए। हो सकता है कोई मन्त्रज्ञाता या औषधिविज्ञानी मुझे बुलाकर बन्धन में ही न डाल दे या किसी समय की शत्रुता के कारण कोई किसी को खिलाने के लिए ही मुझे बाहर बुला रहा हो। अतः यहीं बैठकर पूछ लेता हूँ। उसने पूछा- "तुम कौन हो?" तब मण्डूक बोला मैं गंगदत्त नामक मेंढकों का राजा हूँ आपसे मैत्री की इच्छा से आपके पास आया हूँ। मण्डूक की इस बात को सुनकर सर्प बोला यह विश्वसनीय बात नहीं है। आग और घास की कैसी दोस्ती। अर्थात् भक्ष्य एवं भक्षक की मैत्री संभव नहीं है। गंगदत्त ने कहा कि यह ठीक है कि आप हमारे स्वाभाविक वैरी हैं तथापि शत्रुओं से अपमानित होने पर मैं आपके पास आया हूँ। क्योंकि नीतिकारों ने कहा है कि प्राणों पर संकट आने पर शत्रु के समक्ष सिर झुकाकर भी प्राणों की रक्षा करनी चाहिए।
तब सर्प बोला कि बताओ आपको किसने अपमानित किया है ? वह बोला अपने ही वंशजों ने मेरा अपमान किया है। अच्छा यह बताओ तुम रहते कहाँ हो? उसने कहाँ मैं—पत्थरों से निर्मित एक कुएँ में रहता हूँ। तब सर्प ने कहा फिर कुछ नहीं हो सकता क्योंकि हमे पैर नहीं होते इसलिए हम कुएँ में नहीं उत्तर सकते। फिर हमें वहाँ रहने को स्थान भी नहीं मिल पायेगा। इसलिए तुम जाओ। गंगदत्त बोला कि आप आओ तो सही मैं बड़े सरल उपाय से आपको कुएँ में पहुँचा दूंगा तथा वहाँ पानी की सतह के समीप एक सुन्दर बिल है, वहाँ आपको ठहरा भी दूंगा। वहाँ रहते हुए आप आसानी से मेरे शत्रुओं को मार सकोगे। मण्डूक के ऐसा कहने पर साँप सोचने लगा कि मैं अब वृद्ध हो चला हूँ बड़ी कठिनाई से खाने के लिए यदा कदा कोई चूहा प्राप्त होता है जबकि यह कुलघाती आजीविका का बड़ा सरल उपाय बता
है। इसलिए चलकर इसके द्वारा बताये हुए मण्डूकों को ही खाता हूँ। ऐसा सोचकर उसने मण्डूक से कहा कि यदि ऐसी बात है तो चलो चलें। वे चल पड़े और मेंढक ने घटिका यन्त्र के सहारे सर्प को कुएँ में उतार दिया तथा रहने के लिए बिल भी बता दिया। फिर मण्डूक बोला कि आपने वे ही मण्डूक खाने हैं जिन्हें मैं बताऊँगा। इसके अतिरिक्त मेरे परिवार के सदस्यों को नहीं खाना है। सर्प ने कहा अब तो तुम हमारे मित्र हो हम वहीं करेंगे जो तुम कहोगे। इसके पश्चात् गंगदत्त ने अपने शत्रु प्रियदर्शन को बता दिये और उसने धीरे-धीरे वे सभी खा लिये। फिर सर्प गंगदत्त से बोला भाई मैं भूखा हूँ मेरे भोजन का कोई प्रबन्ध करो। क्योंकि आप ही मुझे यहाँ लाये हो! मण्डूक बोला आपने मित्र का कार्य कर दिया अब यहाँ से चले जाओ। सर्प बोला तू कमाल का बन्दा है मैं कहाँ जाऊँ! अब तक तो मेरे बिल पर किसी और ने कब्जा जमा लिया होगा। अतः आप मुझे अपने परिवारजनों में से ही एक एक मण्डूक प्रतिदिन दे दिया करो अन्यथा मैं सभी को मार दूंगा। मण्डूक सोचने लगा ओह ! मैंने तो सर्प को यहाँ लाकर बहुत बड़ी भूल की है। परन्तु अब क्या उपाय है। अब तो सर्वनाश की स्थिति है। ऐसे में जो बच जाये वही अच्छा है। यह सोचकर वह प्रतिदिन साँप के लिए एक-एक मण्डूक देने लगा। सर्प उसे खाकर परोक्ष में कुछ और भी चटका जाता था। एक दिन तो सर्प ने गंगदत्त के द्वारा दिये हुए मण्डूक को खाकर गंगदत्त का पुत्र यमुनादत्त भी खा लिया। गंगदत्त बहुत रोने लगा। तब उसकी पत्नी ने कहा कुलघातक गंगदत्त! अब पछताने से क्या लाभ है ? अब इससे हमें कोई नही बचा सकता। तथापि बचने का कोई उपाय सोचो। समय बीतते-बीतते प्रियदर्शन ने गंगदत्त को छोड़कर सभी मण्डूकों को खा लिया तथा पुनः गंगदत्त से कहने लगा कि तू ही मुझे यहाँ लाया है अब मुझे तू ही भोजन दे।
तब मण्डूक ने कुछ सोचकर कहा कि मेरे होते हुए आप चिन्ता न करें। यदि आप मुझे आज्ञा दें तो मैं चिकनी चुपड़ी बातों से अन्य कुएँ के मेंढकों को यहाँ ले आऊँगा। प्रियदर्शन सर्प बोला मित्र! तुम मेरे भाई समान हो और यदि यह उपकार मेरे ऊपर कर देते हो तब तो पितृतुल्य ही हो जाओगे। इसलिए आप जाओ और दूसरे कूप के मण्डूकों को यहाँ ले आओ। गंगदत्त घटिकायन्त्र के सहारे कुएँ के बाहर निकला और चैन की सांस ली और कहीं दूसरी जगह रहने लग पड़ा। साँप ने कई दिनों तक प्रतीक्षा की परन्तु उसे आता न देखकर उसी कुएँ के दूसरे बिल में रहने वाली गोह से कहा कि तुम बाहर आती जाती रहती हो यदि गंगदत्त मिले तो उसे कहना कि तुम्हारा मित्र प्रियदर्शन बड़ी उत्सुकता के साथ तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा है। इसलिए शीघ्र ही कुएँ में चले आओ। गोह को जब गंगदत्त मिला तो उसने सर्प की कही सारी बातें गंगदत्त से कह दी तब गंगदत्त ने कहा कि प्रिये! प्रियदर्शन को कहना कि

बुभुक्षितः किं न करोति पापं क्षीणजनानिष्करुणा भवन्ति।
आख्याहि भद्रे प्रियदर्शनस्य न गंगदत्त: पुनरेति कूपम्।।

 भूखे लोग कुछ भी पाप कर सकते हैं। अतः गंगदत्त अब लौटकर कुएँ में नहीं आयेगा।
 शिक्षा-1. क्रोध में हमें कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।
2. अपने शत्रुओं के संहार के लिए बलवान् का आश्रय नहीं लेना चाहिए क्योंकि पश्चात् वह मित्र को भी मार देता है।

Comments

  1. Name-Riya
    Major - History
    Sr.no.76

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  2. Name-Riya
    Major - History
    Sr.no.76

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  3. Major hindi name Priyanka sr no 39

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  4. Priyanka Devi
    Sr.no.23
    Major history

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  5. Taniya sharma
    Sr no. 21
    Pol. Science

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  6. Sejal kasav
    Major sub.-pol science
    Minor sub.-hindi
    Sr.no.- 01

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  7. Name. MOnika
    Sr.No. 23
    Major. History

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  9. Name _ Riya
    Sr.no.49
    Major - political science
    Minor - history

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  10. Anu Devi
    Major-History
    Serial No.-85

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  11. Name -Pooja choudhary.
    Sr no. 18
    Major -Hindi

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  12. Divya Kumari
    Sr.No 60
    Major pol science

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  13. name akanksha sharma
    sr no 13major hindi

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  14. Poonam Devi
    Sr no 23
    Major political science

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  15. Riya thakur
    Sr. No. 22
    Major political science

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  16. Name simran
    Sr. No. 03
    Major . History

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  17. Vishal bharti
    Major political science
    Sr no 16

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  18. Name Akshita Kumari Major Political Science Sr. No 70

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  19. Varsha Devi
    Pol science
    Sr no. 24

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  20. Tanvi Kumari
    Sr. No. 69
    Major. Pol. Science

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  21. Priyanka choudhary major political science and minor Hindi sr no 12

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  22. Arti sharma
    Sr no 32
    Major Hindi
    Minor pol science

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  23. Akshita kumari major political science sr no 70

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  24. Chetna choudhary Major pol science minor Hindi sr no 13

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  25. Mehak
    Sr.no.34
    Major political science

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  26. Name Tanu Guleria
    Sr. No.32
    Major political science

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  27. Name Priya major history roll number2001HS029

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  28. Name Neha devi
    Major History
    Sr no 62

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  29. Bharti choudhary major political science and minor Hindi Sr no 30

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  30. Sonali dhiman major political science sr no. 19

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  31. Major History, Minor Hindi ,Ser No 30.

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  32. Shivani
    Sr no 46
    Major Hindi
    Minor History

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  33. Name palvinder kaur major history minor hindi sr no 9

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  34. Anjli
    Major political science
    Minor history
    Sr.no 73

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  35. Monikasharma sr no.26 major hindi sr no.26

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  36. Sejal Kasav
    Major sub.-pol science
    Minor sub.-hindi
    Sr.no.-01

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  37. Jagriti Sharma
    Roll no.- 2001HI003
    Major-Hindi

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  38. Name -Riya
    Major -History
    Sr. No. 76

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  39. Taniya sharma
    Pol. Science
    Sr no. 21

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  40. Sourabh singh major Hindi minor history Sr no 20

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  41. Name damini Sr no 42 major hindi

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  42. Name isha devi
    Sr. No28ml
    Major history

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  43. Tanvi Kumari
    Sr. No. 69
    Major . Political science

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  44. Anu Devi
    Major History
    Minor Hindi
    Sr.no.85

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  45. Pallvi choudhary
    Major-pol.sc
    Minor-history
    Sr.no-72

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  46. Name rahul kumar
    Major history
    Minor hindi
    Sr no. 92

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