बहुव्रीहि समास
☸️ बहुव्रीहि समास ☸️
जिस समास में अन्य पद के अर्थ की प्रधानता होती है, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं । समस्तपद किसी अन्य के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है। जैसे-यदि कोई कहे कि “विमलबुद्धि" को बुलाओ। तो श्रोता न तो विमल को लायेगा न ही बुद्धि को अपितु विमलबुद्धि वाले किसी पुरुष को बुलाकर लायेगा। स्पष्ट है कि समास में प्रयुक्त पूर्वपद या उत्तरपद अथवा उभयपदों की प्रधानता न होकर किसी अन्यपुरुष की प्रधानता होने से यह बहुव्रीहि समास है। इसीप्रकार "पीताम्बरः" में पीत और अम्बर दोनों पद श्रीकृष्ण के विशेषण है। (अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः)
बहुव्रीहिसमास के भेद बहुव्रीहि समास दो प्रकार का होता है
👉1. समानाधिकरण बहुव्रीहि।
👉2. व्यधिकरण बहुव्रीहि।
☸️1. समानाधिकरण बहुव्रीहि-जिस बहुव्रीहिसमास में प्रयुक्त सभी पदों का विग्रह प्रथमाविभक्ति में ही होता है, उसे समान आधार (समानविभक्ति) वाला होने के कारण समानाधिकरण बहुव्रीहि कहते हैं। जैसे
2. पीतानि अम्बराणि यस्य सः पीताम्बरः
3. विमला बुद्धिः यस्य सः विमलबुद्धिः
4. चित्राः (रंग बिरंगी) गावः यस्य सः। चित्रगुः
5. नीलानि अम्बराणि यस्य सः नीलाम्बरः
6. श्वेतं वस्त्रं यस्य सः श्वेतवस्त्रः
☸️समानाधिकरण बहुव्रीहि के भेद कारक विभक्तियों के आधार पर समानाधिकरण बहुव्रीहिसमास छ: प्रकार का होता है, यद्यपि समास में प्रयुक्तपदों में सदैव प्रथमा विभक्ति ही रहेगी तथापि यत् (जो) शब्द में अर्थ के अनुसार जिस विभक्ति का प्रयोग होगा उसी के आधार पर समास का नाम रखा जायेगा। यथा
🕉️ 1. द्वितीया समानाधिकरण बहुव्रीहिसमास-
आरुढः वानरः यम् सः = आरूढवानरः
प्राप्तम् उदकं यम् सः = प्राप्तोदकः
इन उदाहरणों में (यम्) यत् शब्द का द्वितीयान्तरूप है।
🕉️ 2. तृतीया समानाधिकरण बहुव्रीहिसमास
जितानि इन्द्रियाणि येन सः = जितेन्द्रियः
ऊढः रथ: येन सः = ऊढरथः (रथ खींचनेवाला बैल)
दत्तं चित्तं येन सः = दत्तचित्तः (येन = तृतीया)
🕉️3. चतुर्थी समानाधिकरण बहुव्रीहि
उपहृतः पशुः यस्मै सः। = उपहतपशुः (रुद्र) जिसके लिए पशु लाया गया हो। (यस्मै चतुर्थी)
🕉️4. पञ्चमी समानाधिकरण बहुव्रीहि-
निर्गतं धनं यस्मात् = निर्धन:
उद्धृतम् ओदनं यस्याः सा। = उद्धृतौदना (जिसका भात निकाल लिया गया है। ऐसी स्थाली (हांडी)।
निर्गतं बलं यस्मात् सः = निर्बलः (यस्मात् पञ्चमी)
🕉️5. षष्ठी समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
दश आननानि यस्य सः। = दशाननः (रावण)
चत्वारि आननानि यस्य सः = चतुराननः (ब्रह्मा)
चत्वारि मुखानि यस्य सः =चतुर्मुखः (ब्रह्मा)
महान् आशयः यस्य सः। = महाशयः
🕉️6. सप्तमी समानाधिकरण बहुव्रीहि समास
वीराः पुरुषाः यस्मिन् सः =वीरपुरुषः (ग्रामः)
बहुव्रीहि समास के कतिपय अन्य उदाहरण
रूपवती भार्या यस्य सः। = रूपवभार्यः
प्रकृष्टा छाया यस्य सः =प्रकृष्टछायः
अविद्यमानः पुत्रः यस्य सः। = अपुत्र: या (अविद्यमानपुत्रः)
☸️व्यधिकरण बहुव्रीहिसमास☸️
👉जब बहुव्रीहिसमास के विग्रह में दोनों पदों में भिन्न-भिन्न विभक्ति आये, तब वह व्यधिकरण बहुव्रीहिसमास कहलाता है। यथा
धनुः पाणौ यस्य सः। 👉 धनुष्पाणिः
कण्ठे कालः यस्य सः। 👉 कण्ठेकाल:
चक्रं पाणौ यस्य सः 👉चक्रपाणिः
🕉️बहुव्रीहि नामकरण का आधार 🕉️
बहुव्रीहि स्वयं इसी समास का उदाहरण होने के कारण सम्भवतः इस समास का नाम बहुव्रीहि समास रख दिया गया है। यथा
बहुः व्रीहिः यस्य अस्ति सः = बहुव्रीहिः (जिसके पास बुहत चावल हों
☸️।) बहुव्रीहि एवं तत्पुरुष (कर्मधारय) में भेदः बहुव्रीहि और तत्पुरुष में समानता प्रतीत होती है। जैसेपीताम्बरः (कृष्णः) पीतम् अम्बरं यस्य सः = बहुव्रीहिः पीताम्बरम् (पीला कपड़ा) पीतम् अम्बरम् = तत्पुरुष (कर्मधारय)
इसप्रकार एक ही समास आवश्यकता अनुसार बहुव्रीहि एवं तत्पुरुष हो सकता है। “भेद केवल यही है कि विग्रह में जहाँ पहला पद दूसरे पद का विशेषण हों वहाँ, तत्पुरुष तथा जहाँ दोनों पद अन्यपद के विशेषण हों वहाँ बहुव्रीहि समास होता है।"
👉इस सम्बन्ध में एक रोचक प्रसंग भी है कि किसी भिखारी ने राजा से कहा कि हम दोनों लोकनाथ' हैं। (अहञ्च त्वञ्च राजेन्द्र ! लोकनाथावुभावपि) परन्तु जब उसकी इस युक्ति पर राजकर्मचारी क्रोधित होकर उसे पीटने लगे तब तक उसने श्लोक का द्वितीयांश भी पढ़ डाला कि-बहुव्रीहिरहं राजन् षष्ठीतत्पुरुषो भवान्।
अर्थात् मैं बहुव्रीहि हूँ क्योंकि
लोकाः नाथाः यस्य सः लोकनाथः ।
तथा आप षष्ठीतत्पुरुष-
लोकस्य नाथः = लोकनाथः हैं।
भाव यह है कि एक ही समस्तपद आवश्यकतानुसार विग्रह करने के ढंग के अनुसार बहुव्रीहि और तत्पुरुष दोनों ही हो सकते हैं।
Tanu Bala 1901hi079
ReplyDelete1901hi010
ReplyDeleteSonali Devi 1901hi039
ReplyDeleteShaveta kaler 1901hi058
ReplyDeleteAnjali roll no 1901Hi044
ReplyDeletePriya choudhary 1807ph124
ReplyDeleteNitika1901hi067
ReplyDeleteKalpna choudhary Roll no 1901HI065
ReplyDeleteRupinder 1901HI004
ReplyDeleteMangla devi
ReplyDeleteRoll number =1801hi070
Shweta kumari 1091hi011
ReplyDeleteSakshi Devi 1901hi015
ReplyDeleteTamanna 1901hi068
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ReplyDeletePriyanka
roll number 1901hi059
Ishita
ReplyDeleteRoll no 1901HI070
/1901hi021
ReplyDeletesimran devi
ReplyDelete1901hi077
simran devi
ReplyDelete1901hi077
1801EN036
ReplyDeleteAnubala roll no 180hi058
ReplyDeleteShivani Sharma 1901hi022
ReplyDeleteAnu bala 1801hi058
ReplyDeleteshikha manhas1901hi072
ReplyDeleteTanu Bala 1901hi079
ReplyDeletePriyanka
ReplyDelete1901Hi034
Shweta kumari 1901hi011
ReplyDeleteRiya sharma
ReplyDelete1901hi002
Nitika 1901hi067
ReplyDeleteShruti Pathania
ReplyDelete1901HI014
Shaweta Choudhary
ReplyDelete1901hi038
Pooja Devi 1901HI029
ReplyDeleteManisha 1901hi010
ReplyDeletesimran devi
ReplyDelete1901hi077
major Hindi
2nd year
Sakshi 1901hi005
ReplyDeleteSakshi 1901hi005
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ReplyDeletePriyanka
roll number 1901hi059
Amisha 1901HI001
ReplyDeleteManisha 1901hi054
ReplyDeleteTana Bala 1901hi079
ReplyDeleteShaweta choudhary
ReplyDelete1901hi038
1801EN036 pooja
ReplyDeleteShaweta choudhary
ReplyDelete1901 hi038
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ReplyDeleteRiya sharma
ReplyDelete1901hi002
Manisha 1901hi010
ReplyDeleteMangla devi
ReplyDeleteRoll number =1801hi070
Sakshi 1901hi005
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