नटी

🏵️🌻 नटी🌻🏵️

नट अर्थात् सूत्रधार की पत्नी संस्कृत नाटकों में नटी कहलाती है। नट शब्द से ङीप् (ई) स्त्रीप्रत्यय करने पर नटी रूप बनता है। रंगमंच के प्रबन्धक को सूत्रधार या प्रधान नट कहते हैं। उसकी पत्नी नटी कही जाती है। संस्कृत नाटकों में नटी की भूमिका केवल नाटक के प्रथमांक के आरम्भ में आती है जब मंगलाचरण के पश्चात् प्रधान नट अपनी पत्नी (नटी) के साथ बातचीत के माध्यम से नाटक के मुख्य पात्रों का प्रवेश करवाने की भूमिका बाँधता है। कई नाटकों में बातचीत के लिए नटी को बुलाता है तथा कई में अपने अन्य सहयोगी नटों को भी बुला लेता है। यह अनिवार्य नहीं है कि प्रत्येक नाटक के आरम्भ में नट और नटी दोनों मञ्च पर हों। इसीलिए विश्वनाथ जी ने अपने साहित्यदर्पण में "प्रस्तावना" की परिभाषा देते हुए लिखा है कि

"नटी विदूषको वापि पारिपारश्विकः एव वा 

सूत्रधारेण सहिता संलापं यत्र कुर्वते।"

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