महीधर

 महीधर ई. 17 वीं शती। शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन

संहिता के भाष्यकार। निवासस्थान- काशी । 'मन्लमहोदधि'

नामक तंत्र श्रंथ और उस पर टीका भी महीधराचार्य ने लिखी।

मन्त्रमहोदधि में जो काल-निर्देश है, उससे महीधरानर्य का

समय निःसंदिग्ध हो जाता है । उवट और माधव इन दोनों

के भाष्य का अभ्यास करते हुए अपने वेददीप नामक यजुर्भाष्य

की रचना महीधर आचार्य ने की । कई विद्वानों के मतानुसार

यह निर्दिष्ट माधव, वेंकट-माधव हैं, सायण-माधव नहीं किन्तु

इस मत का खण्डन भी हो चुका है । महीधराचार्य का

वेददीपभाष्य-उवटाचार्य के माध्यंदिनभाष्य से प्रभावित है। उवट

संक्षेप् के, और महीधर विस्तार के प्रेमी हैं। महीधराचार्य ने

मंत्रों का विनियोग विस्तृत रूप से दिया है।



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