रस, रस के प्रकार
रस
कविता के पढने और नाटक को देखने से पाठक और श्रोता को जिस आन्नद की अनुभूति होती है, उसे ही रस कहा जाता है। रस से पूर्ण वाक्य ही काव्य कहलाता है। रस को ही काव्य की आत्मा कहते है।
भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र मे लिखा है- “विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्ति” अर्थात विभाव, अनुभाव और संचारी भावों के संयोग से रस बनता है। इसके के मुख्य तत्व निम्न है-
१. स्थायी भाव २. विभाव ३. अनुभाव ४. संचारी भाव
स्थायी भाव-
मनुष्य के हृदय मे कुछ भाव स्थायी रूप से रहते है, इन्हे ही स्थायी भाव कहा जाता है। ये मुख्यतः 9 होते है।
रति – श्रंगार
हास – हास्य
शोक – करूण
उत्साह – वीर
क्रोध – रौद्र
भय – भयानक
जुगुत्सा – वीभत्स
विस्मय – अद्भुत
निर्वेद – शान्त
विभाव-🌺
रसों को उद्दीप्त या उदित करने वाले तत्वो को विभाव कहते है। इसके तीन भेद है- आलम्बन, उद्दीपन, आश्रय ।
अनुभाव –🌺
मन के भाव को व्यकत करने वाली शारीरिक या मानसिक क्रिया को अनुभाव कहते है।
संचारी भाव –🌺
वे भाव जो मन मे अल्प काल के लिए आकर चले जाते है , संचारी भाव कहलाते है। स्थायी भाव को पूर्ण करके क्षण भर मे गायब हो जाते है। इनकी संख्या 33 है ।
रस के भेद
मुख्य रूप से 11 भेद है-
१. श्रंगार २. हास्य ३. करूण ४.वीर ५. रौद्र
६. भयानक ७. वीभत्स ८. अद्भुत ९.शान्त
१०. वात्सल्य ११.भक्ति
🌼 1. श्रंगार रस 🌼
सबसे विस्तृत वर्णन श्रंगार का ही मिलता है। इसका स्थायी भाव रति है।पुरुष और स्त्री के बीच प्यार और वियोग को श्रृंगार कहते है। इसके दो भेद है – संयोग, वियोग ।
🌼 संयोग श्रंगार
सुखद मौसम, आभूषण , सुख की अनुभूति, सुन्दरता आदि देखने या सुनने से संयोग श्रृंगार उत्पन्न होता है। जैसे –
देखि रूप लोचन ललचाने, हरखे जनु निज निधि पहचाने।
थके नयन रघुपति – देखी, पलकन हू परहरी निरेखी।।
भगवान श्रीराम को देखकर सीता के प्रेम का वर्णन है।
🌼 वियोग श्रृंगार
नायक और नायिका के बीच जुदाई मे प्यार को वियोग श्रृंगार कहते है। जैसे –
अति मली बृएभानु-कुमारी
अघ-मुख रहित, उरघ नहिं चितवति,
ज्यों गथ हारेथकित जुआरी।
छूटे चिकुर, बदन कुम्हलानी,
ज्यों नलिनी हिमकर की मारी।।
राधा और कृष्ण के प्यार का वर्णन है।
🌼 2. हास्य रस
इसका स्थायी भाव हास है। जब काव्य मे कहीं पर हसने या हसाने का प्रयास होता है , तो वहाँ हास्य होता है। जैसे –
जेहिं दिसि नारद बैठे फूली,
सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली।
पुनिपुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं ।
देखि दसा हर-गनमुसकाहीं।।
3. करूण रस
इसका स्थायी भाव शोक है। इसमे धन की हानि, प्राण घात, कारावास आदि अन्य भाव होते है। इसमे विलाप होता है।
जैसे-
सुदामा की दीन दशा देखकर श्रीकृष्ण का व्याकुल होना-
देखि सुदामा की दीन दसा, करूणा करिकै करूणानिधि रोये।
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैननि के जल सों पग धोये ।।
4. वीर रस
इसका स्थायी भाव उत्साह है।इसमेंं नायक के पराक्रम, प्रताप, वीरता, शौर्य आदि का वर्णन होता है। जैसे-
फड़क रहे थे अति प्रचण्ड भुज-दण्ड शत्रु-मर्दन को विह्वल।
ग्राम ग्राम से निकल -निकलकर ऐसे युवक चले दल-के-दल।
5. रौद्र रस
रौद्र का स्थायी भाव क्रोध है। यह मूल रूप से राक्षसी या शरारती प्रवृत्ति है। जैसे-
मुख बाल-रवि सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ।
प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ।
6.भयानक रस
इसका स्थायी भाव भय होता है। इसमे भयानक आवाजो से, भूत-प्रेत, किसी प्रिय की मृत्यु आदि के द्वारा होता है। जैसे-
समस्त सर्पो सँग श्याम ज्यों कढे़ ,
कलिंद की नन्दिनि के सुु-अंक से।
खडे़ किनारे जितने मनुष्य थे,
सभी महा शंकित भीत हो उठे।।
🌼 7. वीभत्स रस
वीभत्स का स्थायी भाव जुगुत्सा है। यह अप्रिय, दूषित, प्रतिकूल आदि के कारण उत्पन्न है।
जैसे- पै बैठ्यौ काग, आँख दोउ खात निकारत ।
खैंचत जोभहिं स्यार, अतिहि आनन्द उर धारत ।।
🌼 8. अद्भुत
अद्भुत का स्थायी भाव विस्मय होता है। इसमे विस्मय, हर्ष आदि तत्वो होते है। जैसे-
अखिल भुवन चर-अचर जग हरिमुख में लखि मातु।
चकित भयी, गदगद वचन, विकसित दृग पुलकातु।।
🌼 9.शान्त रस
इसका स्थायी भाव निर्वेद होता है । इस भाव द्वारा हर उस तत्व से मुक्ति दिलाता है जो हमे दुःख प्रदान करता है। यह रस योगियो से बना है।
जैसे- समता लहि सीतल भया, मिटी मोह की ताप।
निसि-वासर सुख निधि लह्या, अंतर प्रगट्या आप।।
Riya sharma
ReplyDelete1901hi002
Shivani Sharma 1901hi022
ReplyDeleteShruti Pathania
ReplyDelete1901hi014
Shikha manhas1901hi082
ReplyDeleteTanu Bala 1901hi079
ReplyDeleteAnkita Kumari Roll No 1901hi035
ReplyDeleteShweta kumari 1901hi011
ReplyDeletePooja Devi
ReplyDelete1901HI029
Siya pathania 1901hi074
ReplyDeleteManisha 1901hi054
ReplyDeleteManisha 1901hi010
ReplyDeleteAnu bala 1801hi058
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ReplyDeletePriyanka
roll number 1901hi059
Kalpna choudhary Roll no 1901hi065
ReplyDeleteTamanna Roll No 1901hi068
ReplyDeleteManisha 1901hi054
ReplyDeleteRiya sharma
ReplyDelete1901hi002