ब्रह्मचर्य सूक्त का सार

 चारों वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) और चारों आश्रम (विद्यार्थी, गृहस्थ, वानप्रस्थ, सन्यास) इन सभी को अपने-अपने कल्याण हेतु ब्रह्मचर्यव्रत का पालन अवश्य करना चाहिये। 'विद्याध्ययन तथा ज्ञानार्जन ब्रह्मचर्यव्रत के बिना सफल नहीं हो सकता। साधना की दृष्टि के अतिरिक्त लोक जीवन में भी ब्रह्मचर्य व्रत को यत्नपूर्वक सिद्ध करने का प्रयास करना चाहिये। ब्रह्मचर्य संसार का सबसे कठिन तप है। अतः इस सूक्त का त्रिकाल संध्या पाठ करने से ब्रह्मचर्य व्रत के प्रति निष्ठा जाग्रत होती है, ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने हेतु दैवीय सहायता मिलती है, अन्तःकरण पवित्र होने से कामुक विचार शान्त होते हैं और ब्रह्मचर्य की अद्भुत महिमा ज्ञान भी मिलता है। अथर्ववेद के 11वें काण्ड में यह सूक्त वर्णित है।

- ब्रह्मचारी पृथिवी और धुलोक- इन दोनों को पुनः पुनः अनुकूल बनाता हुआ चलता है, इसलिये उस ब्रह्मचारी के अन्दर सब देव अनुकूल मन के साथ रहते हैं। वह ब्रह्मचारी पृथिवी और धुलोक का धारणकर्ता है और वह अपने तप से आचार्य को परिपूर्ण बनाता है।।।

देव, पितर, गंधर्व और देवजन- ये सब ब्रह्मचारी का अनुसरण करते हैं। तीन, तीस, तीन सौ और छः हजार देव हैं। इन सब देवों का वह ब्रह्मचारी अपने तप से पालन करता है।2।

ब्रह्मचारी को अपने पास करने वाला आचार्य उसको अपने अन्दर करता है। उस ब्रह्मचारी को अपने उदर में तीन रात्रि तक रखता है, जब वह ब्रह्मचारी द्वितीय जन्म लेकर बाहर आता है, तब उसको देखने के लिये सब विद्वान सब प्रकार से एकत्रित होते हैं।।3

यह पृथिवी प्रथम समिधा है और द्वितीय समिधा द्युलोक है। इस समिधा से वह ब्रह्मचारी अन्तरिक्ष की पूर्णता करता है। समिधा,मेखला, श्रम करने का अभ्यास और तप इनके द्वारा वह ब्रह्मचारी सब लोकों को पूर्ण करता है।4।

ज्ञान के पूर्व ब्रह्मचारी होता है। उष्णता धारण करता हुआ तप से ऊपर उठता है। उस ब्रह्मचारी से ब्रह्मसम्बन्धी श्रेष्ठ ज्ञान प्रसिद्ध होता है तथा सब देव अमृत के साथ होते हैं।5।

अर्थात् लोकसंग्रह करता हुआ और बारंबार उनको उत्साह देता है और पूर्व से उत्तर समुद्र तक शीघ्र ही पहुंचता है।6 ।

जो ज्ञानामृत के केन्द्रस्थान में गर्भरूप रहकर ब्रह्मचारी हुआ।वही ज्ञान, कर्म, जनता, प्रजापालक राजा और विशेष तेजस्वी परमेष्ठी परमात्मा को प्रकट करता हुआ, अब इन्द्र बनकर निश्चय से असुरों का नाश करता है।7।

तेज से प्रकाशित कृष्णचर्म धारण करता हुआ, व्रत के अनुकूल आचरण करने वाला और बड़ी-बड़ी दाढ़ी मूंछ धारण करने वाला ब्रह्मचारी प्रगति करता है। वह लोगों को एकत्रित करता हुआ ये बड़े गम्भीर दोनों लोक पृथिवी और धुलोक आचार्य ने बनाये हैं। ब्रह्मचारी अपने तप से उन दोनों का रक्षण करता है।इसलिये उस ब्रह्मचारी के अन्दर सब देव अनुकूल मन के साथ रहते हैं।8।

पहले ब्रह्मचारी ने इस विस्तृत भूमि की तथा धुलोक की भिक्षा प्राप्त की है। अब वह ब्रह्मचारी उनकी दो समिधाएं करके उपासना करता है; क्योंकि उन दोनों के बीच में सब भुवन स्थापित है।।9

एक पास है और दूसरा द्युलोक के पृष्ठभाग से परे है। ये दोनों कोश ज्ञानी की बुद्धि में रख्खे हैं। उन दोनों कोशों का संरक्षण ब्रह्मचारी अपने तप से करता है तथा वही विद्वान ब्रह्मचारी ब्रह्मज्ञान विस्तृत करता है, ज्ञान फैलाता है।10।

इधर एक है और इस पृथिवी से दूर दूसरा है। ये दोनों अग्नि इन पृथिवी और द्युलोक के बीच में मिलते हैं। उनकी बलवान् किरणें फैलती हैं। ब्रह्मचारी तप उन किरणों का अधिष्ठाता होता है।11।

गर्जना करने वाला भूरे और काले रंग से युक्त बड़ा प्रभावशाली ब्रह्म अर्थात् उदक को साथ ले जाने वाला मेघ भूमि का योग्य पोषण करता है तथा पहाड़ और भूमि पर जल की वृष्टि करता है। उससे चारों दिशाएं जीवित रहती हैं।12।

अग्नि, सूर्य, चन्द्रमा, वायु, जल इनमें ब्रह्मचारी समिधा डालता है। उनके तेज पृथक-पृथक मेघों में संचार करते हैं। उनसे वृष्टि-जल, घी और पुरुष की उत्पत्ति होती है।। 3 ।

आचार्य की मृत्यु, वरुण, सोम, औषधि तथा पयरूप है। उसके जो सात्त्विक भाव हैं, वे मेघरूप हैं; क्योंकि उनके द्वारा ही वह स्वत्त्व रहा है।14।

एकत्व, सहवास, केवल शुद्ध तेज करता है। आचार्य वरुण बनकर प्रजापालक के विषय में जो-जो चाहता है, उसको मित्र ब्रह्मचारी अपनी आत्मशक्ति से देता है।15।

आचार्य ब्रह्मचारी होना चाहिये, प्रजापालक भी ब्रह्मचारी होना चाहिये। इस प्रकार का प्रजापति विशेष शोभता है। जो संयमी राजा होता है, वही इन्द्र कहलाता है।16।

ब्रह्मचर्य रूप तप के साधन से राजा राष्ट्र का विशेष संरक्षण करता है। आचार्य भी ब्रह्मचर्य के साथ रहने वाले ब्रह्मचारी की ही इच्छा करता है।।7।

कन्या ब्रह्मचर्य पालन करने के पश्चात् तरुण पति को प्राप्त करती है। बैल और घोड़ा भी ब्रह्मचर्य का पालन करने से ही घास खाता है।18।

ब्रह्मचर्य रूप तप से सब देवों ने मृत्यु को दूर किया। इन्द्र ब्रह्मचर्य से ही देवों को तेज देता है।191

औषधियां, वनस्पतियां, ऋतुओं के साथ गमन करने वाला संवत्सर, अहोरात्र, भूत और भविष्य- ये सब ब्रह्मचारी हो गये हैं।20।

पृथिवी पर उत्पन्न होने वाले अरण्य और ग्राम में उत्पन्न होने वाले जो पक्षहीन पशु हैं तथा आकाश में संचार करने वाले जो पक्षी हैं, वे सब ब्रह्मचारी बने हैं।21।

पदार्थ पृथक-पृथक अपने अन्दर प्राणों को धारण करते हैं। ब्रहमचारी में रहा हुआ प्रजापति परमात्मा से उत्पन्न हुए सब ही ज्ञान उन सबका रक्षण करता है।22।

देवों का यह उत्साह देने वाला सबसे श्रेष्ठ तेज चलता है। उससे ब्रह्मसम्बन्धी श्रेष्ठ ज्ञान हुआ है और अमर मन के साथ सब देव प्रकट हो गये ।23 ।

चमकने वाला ज्ञान ब्रह्मचारी धारण करता है। इसलिये उसमें सब देव रहते हैं। वह प्राण, अपान, व्यान, वाचा, मन, हृदय, ज्ञान और मेधा प्रकट करता है। इसलिये हे ब्रह्मचारी! हम सबमें चक्षु, श्रोत्र, यश, अन्न, वीर्य, रुधिर और पेट पुष्ट करो ।24-25 ।

ब्रहमचारी उनके विषय में योजना करता है। जल के समीप तप करता है। इस ज्ञान समुद्र में तप्त होने वाला यह ब्रह्मचारी जब स्नातक हो जाता है, तब अत्यन्त तेजस्वी होने के कारण वह इस पृथिवी पर बहुत चमकता है।26।


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  1. Name monikasharma
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  2. Name -Riya
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  3. Name -Riya
    major-History
    Sr. No. -76

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  4. Shivani Devi
    Sr no 46
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  5. Priyanka Devi
    Sr.no.23
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  6. Mamta Bhardwaj
    Sr no 01
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  7. Chetna choudhary Major pol science sr no 13

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  8. Jyotika Kumari Major hindi Sr no 5

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  9. Akriti choudhary
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  10. Sonali dhiman major political science Sr. no. 19

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  11. ektaekta982@gmail.com
    Varsha Devi Pol 24

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  12. Taniya sharma
    pol.science
    Sr no. 21

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  13. Rishav sharma major pol science sr no 65

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  14. Anjli
    Major-Political science
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  15. Priyanka choudhary
    Major political science and minor Hindi sr 12

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  16. Mehak
    Sr.no.34
    Major Political science

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  17. VIVEk kumar Pol science sr no 38 dehri

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  18. Tanu guleria
    Sr. No.32
    Major political science

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  19. Jagriti Sharma
    Serial no.2
    Major- Hindi

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  20. Tanvi Kumari
    SR .no . 69
    Major. Pol.science

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  21. Name Sakshi
    Sr no 14
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  22. Diksha Devi
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    Sr. No.50

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  23. Shivam choudhary
    Sr. No.78
    Major political science

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  24. Pallvi choudhary
    Major- pol. Sc
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    Sr. No-72

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  25. Poonam devi sr no 23 major political

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  26. Poonam devi sr no 23 major political science

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  27. Name - riya
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    Major-political science
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  28. Taniya sharma
    Pol. Science
    Sr no. 21

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  29. Name Rahul kumar
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  30. Shivam choudhary
    Major political science
    Sr. No. 78

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  31. Name Ranjana Devi
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  32. Raman Pathania
    Major pol science sr. No 55

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