द्वन्द्वसमास
☸️ द्वन्द्वसमास ☸️
जब दो या दो से अधिक शब्दों की बीच से "च" को हटाकर उन्हें एकपद बना दिया जाता है, तो उसे द्वन्द्वसमास कहते हैं। समस्तपद से "और" अर्थ की अभिव्यक्ति होती है, जो विग्रह में च के द्वारा स्पष्ट की जाती है। जैसे-पिता च पुत्रः च = पितापुत्रौ (पिता और पुत्र) माता च पिता च = मातापितरौ (माता और पिता) आदि। द्वन्द्व का शाब्दिक अर्थ है: जोड़ा। इस समास में भाई-बहन, पिता-पुत्र, छोटा-बड़ा आदि जोड़े पाये जाते हैं। अतः यह द्वन्द्व कहलाता द्वन्द्वसमास की एक अन्य परिभाषा यह भी है कि-"उभयपदार्थ प्रधानो द्वन्द्वः।'
👉अर्थात् जिस समास में प्रयुक्त दोनों पदों के अर्थ की प्रधानता हो, उसे द्वन्द्वसमास कहते हैं। यथा. रामः च लक्ष्मणः च रामलक्ष्मणौ। अब यदि कोई कहे कि रामलक्ष्मणौ अगच्छताम्। तो इसका अर्थ होगा कि राम भी गया और लक्ष्मण भी। रामलक्ष्मणौ का अर्थ केवल राम या केवल लक्ष्मण कदापि नहीं हो सकता। अत: स्पष्ट है कि इस समास में दोनों पदों के अर्थ की प्रधानता होती है।
☸️द्वन्द्वसमास के भेद
1. इतरेतरद्वन्द्व
2. समाहारद्वन्द्व
3. एकशेषद्वन्द्व
☸️1. इतरेतरद्वन्द्व-जिस द्वन्द्वसमास में दो या दो से अधिक शब्दों के बीच के “च' को हटाकर उन्हें एकपद बना दिया जाता है तथा समस्तपद में जोड़े गये पदों की कुल संख्या के आधार पर अन्तिम शब्द के साथ द्विवचन अथवा बहुवचन का प्रयोग कर दिया जाता है; उसे इतरेतरद्वन्द्वसमास कहते हैं। यथा
रमेश: च सुरेशः च ----------------रमेशसुरेशौ
रमेश: च सुरेशः च, हरीशः ----रमेशसुरेशहरीशाः
पत्रं च पुष्पं च फलं च -----------पत्रपुष्पफलानि
होता च पोता च --------------- होतापोतारौ
माता च पिता च------------+++मातापितरौः
👉 यदि पुंल्लिंग, स्त्रीलिंग और नंपुसकलिंग आदि भिन्न-भिन्न लिंगवाले पदों का इतरेतर द्वन्द्व किया जायेगा तब समस्तपद में अन्तिमपद के अनुसार लिङ्ग प्रयोग होगा। यथा
मयूरी च कुक्कुट: च-----------मयूरीकुक्कुटौ
(अन्तिमपद पुँल्लिंग है।अतःकुक्कुट में द्विवचन प्रयोग है)
कुक्कुट: च मयूरी च कुक्कुटमयूर्यो
(यहाँ मयूरी स्त्रीलिंग में द्विवचन प्रयुक्त हुआ है।)
कदम्बः च द्राक्षाच--------कदम्बद्राक्षाम्राणि
(अन्तिमपद के अनुसार लिंग प्रयुक्त आम्रम् च
👉देवतावाची शब्दों का द्वन्द्वसमास करने पर पूर्वपद को प्रायः "आ" हो जाता है। यथा
इन्द्रःच वरुणः च -----------इन्द्रावरुणौ
(सन्धि करने पर इन्द्रश्च वरुणश्च
इन्द्रः च सोमः च -----------इन्द्रासोमौ
👉द्वन्द्वसमास में इकारान्त और उकारान्त शब्दों का पूर्वपद के रूप में प्रयोग होता है। यथा
हर: च हरिः च। = हरिहरौ
हरि: च हर:च = हरिहरौ
👉यदि एकाधिक इकारान्त या उकारान्त हों तो किसी का भी पहले प्रयोग किया जा सकता है। यथा
हरिः च गुरुः च हर: च ---------हरिगुरुहराः या गुरुहरिहराः
हरिः च गुरुः च। = हरिगुरू या गुरूहरी
अर्जुनः च युधिष्ठिरः च = युधिष्ठिरार्जुनौ
अर्जुनः च वासुदेवः च। = वासुदेवार्जुनौ
(पूज्य का पूर्वप्रयोग),
ब्राह्मणः च शूद्रः च, क्षत्रियः च = ब्राह्मणक्षत्रियशूद्राः
👉अजन्त् एवं हलन्त शब्दों के समास में अजन्तों का तथा अधिक स्वरवालों एवं कम स्वरवालों में कम स्वरवालों का पूर्वप्रयोग होता है। यथा
कृष्णः च ईश: च------------ईशकृष्णौ--ईश: च कृष्ण: च
सन्यासी च साधु:च -=साधुसन्यासिनौ --साधु च संन्यासी च
केशवः च शिव: च --------शिवकेशवौः =शिवः च केशवः च उपर्युक्त शब्दों का विग्रह दोनों प्रकार से हो सकता है।
☸️समाहारद्वन्द्व ☸️
समाहार का अर्थ है-समूह। इसलिए "च" से जुड़े हुए समूह के वाचक द्वन्द्वसमास को "समाहारद्वन्द्व" कहा जाता है। समस्तपद में दोनों अर्थों की प्रधान न होकर समूह अर्थ ही प्रधान होता है तथा समस्तपद नपुंसक लिंग एकवचन में प्रयुक्त होता है। जैसे-
हस्तौ च पादौ च = हस्तपादम्,
पाणी च पादौ च =पाणिपादम्।
समाहारद्वन्द्व निम्न विशेष अर्थों में ही होता है
👉 (क) प्राणियों के अङ्गों का-
हस्तौ च मुखम् च एषां समाहारः = हस्तमुखम्
दन्ताश्च ओष्ठौ च एषां समाहारः = दन्तोष्ठम्
शिरः च ग्रीवा च अनयोः समाहारः = शिरोग्रीवम्
👉 (ख) तूर्य (वाद्यों) से सम्बन्धित समूह का
भेरी च पटहश्च अनयोः समाहारः = भेरीपटहम् मार्दङ्गिकवैणविकयोः समाहारः = मार्दङ्गिकवैणविकम्
☸️एकशेष द्वन्द्व☸️
जहाँ च द्वारा जुड़े दो या दो से अधिक शब्दों का समास करने पर एक ही शेष रह जाता है, उसे एकशेष द्वन्द्वसमास कहते हैं। जैसे-
रामश्च रामश्च = रामौ,
देवश्च, देवश्च, देवश्च = देवाः
माता च पिता च पितरौ
☸️ समाहारद्विगु और समाहारद्वन्द्व में भेद ☸️
इनमें निम्नलिखित भेद हैं
(i) समाहारद्विगु में पूर्वपदसंख्या होना चाहिए जबकि समाहारद्वन्द्व में संख्या की अनिवार्यता नहीं है।
(ii) समाहारद्विगु के विग्रह में "च" की आवश्यकता नहीं पड़ती जबकि समाहारद्वन्द्व के विग्रह में च जोड़ा जाता है।
(iii) समाहारद्विगु किसी भी संख्या और संज्ञा के बीच हो सकता है जबकि समहारद्वन्द्व किन्हीं विशेष शब्दों प्राणी, तूर्य, सेनादि के अङ्गों का ही परस्पर होता है।
Manisha 1901hi010
ReplyDeleteAnkita Kumari Roll No 1901Hi035
ReplyDeleteKalpna choudhary Roll no 1901HI065
ReplyDeleteRekha Devi
ReplyDeleteRoll no. 1901hi024
Priya choudhary 1807ph124
ReplyDeletePooja Devi
ReplyDelete1901HI029
Tanu Bala 1901hi079
ReplyDeleteSiya pathania 1901hi074
ReplyDeleteSonali Devi 1901hi039
ReplyDeleteShaveta kaler 1901hi058
ReplyDeleteTamanna 1901hi068
ReplyDeleteSakshi Devi 1901hi015
ReplyDelete1801EN036
ReplyDeletePooja
Amisha 1901HI001
ReplyDeleteShaweta choudhary
ReplyDelete1901hi038
Ishita
ReplyDelete1901HI070
Shwetashweta@gmail.com
ReplyDeletePooja Devi
ReplyDelete1901HI029
Priyanka
ReplyDelete1901Hi034
Tanu Bala 1901hi079
ReplyDeleteSakshi Devi
ReplyDelete1901hi015
Nitika 1901hi067
ReplyDeleteshikha manhas 1901Hi072
ReplyDeleteManisha 1901hi010
ReplyDeleteShruti Pathania
ReplyDelete1901HI014
ReplyDeletePriyanka
roll number 1901hi059
Sakshi 1901hi005
ReplyDeletesimran Devi
ReplyDelete1901hi077
major Hindi
2nd year
Manish 1901hi 010
ReplyDeletePooja Devi
ReplyDelete1901HI029
Pooja Devi
ReplyDelete1901HI029
Shweta kumari 1901hi011
ReplyDeleteRiya sharma
ReplyDelete1901hi002
Shaweta choudhary
ReplyDelete1901hi038
1901hi079
ReplyDeleteAmisha 1901HI001
ReplyDeletePriyanka
ReplyDelete1901Hi034
Vandna Bharti roll no 1901hi031
ReplyDeleteSakshi 1901hi005
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