नीतिशतक2️⃣3️⃣🕉️2️⃣4️⃣🕉️2️⃣5️⃣

 🕉️नीतिशतक2️⃣3️⃣🕉️2️⃣4️⃣🕉️2️⃣5️⃣🕎🕎

✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️

दाक्षिण्यं स्वजने दया परिजने शाठ्यं सदा दुर्जने, 

प्रीतिः साधुजने नयो नृपजने विद्वज्जने चार्जवम्। 

शौर्यं शत्रुजने क्षमा गुरुजने कान्ताजने धृष्टता,

ये चैवं पुरुषाः कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः।। 23 ।।

🇮🇳 अन्वयः-स्वजने दाक्षिण्यम्, परिजने दया, दुर्जने सदा शाठ्यम्, साधुजने प्रीतिः नृपजने नयः, विद्वज्जने आर्जवम्, शत्रुजने शौर्यम् गुरुजने क्षमा, कान्ताजने धृष्टता एवं कलासु ये पुरुषाः निपुणाः तेषु एव लोकस्थितिः (वर्तते)।

🇮🇳शब्दार्थ एवं व्याकरण-स्वजने = अपने भाई-बन्धुओं के प्रति। दाक्षिण्यम् = उदारता। परिजने = नौकर-चाकरों के प्रति। दया = करुणा भाव। दुर्जने = दुष्ट पर। सदा = हमेशा। शाठ्यम् = धृष्टता, । साधुजने = सज्जन के प्रति। प्रीतिः प्रेम। नृपजने = राजा के प्रति। नयः = नीति। विद्वज्जने = विद्वान् के प्रति। आर्जवम् = विनम्रता। शत्रुजने = शत्रु पर। शौर्यम् = शूरवीरता। गुरुजने = गुरुओं के प्रति। क्षमा = सहनशीलता। कान्ताजने = स्त्रियों के प्रति। धृष्टता = दृढ़ता या ढिठाई। एवं = इस प्रकार की। कलासु = कलाओं में। ये जनाः = जो लोग। निपुणाः चतुर होते हैं। तेषु एव उन्हीं पर। लोकस्थितिः = लोकव्यवहार स्थित है।

🇮🇳हिन्दी-अनुवाद-लोकव्यवहार के तत्त्वों पर प्रकाश डालते हुए भर्तृहरि जी कहते हैं कि अपने सगे सम्बन्धियों के प्रति उदारता, सेवकों के प्रति दया, दुर्जनों के साथ दुष्टता, सज्जनों के प्रति प्रेम, राजा के प्रति नीतिपूर्ण व्यवहार, विद्वानों के प्रति सरलता, शत्रुओं के प्रति वीरता, गुरुओं के प्रति सहनशीलता, स्त्रियों के प्रति दृढ़ता आदि गुणों को अपनाने में जो निपुण हैं; वे ही लोग इस संसार में कामयाब हैं।

🇮🇳भावार्थ यह कि संसार में कामयाबी प्राप्त करने के लिए क्षमा, दया, प्रीति एवं नीति आदि गुणों को अपनाना परमावश्यक है।

🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️

जाड्यं धियो हरति सिञ्चति वाचि सत्यम्, 

मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति। 

चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिम्,

सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम्।। 24॥ 

🇮🇳अन्वयः-(सत्संगतिः) धियः जाड्यं हरति। वाचि सत्यं सिंचति, मानोन्नतिं दिशति, पापम् अपाकरोति, चेतः प्रसादयति, दिक्षु कीर्तिं तनोति, कथय सत्संगति पुंसां किं न करोति ?

🇮🇳शब्दार्थ एवं व्याकरण-धियः = बुद्धि के। जाड्यम् = मूर्खता को, जंडता को। हरति = दूर करती है। वाचि वाणी में। सत्यम् = सत्य को। सिंचति = समाविष्ट करती है। मानोन्नति (मान + उन्नतिम् गुणसन्धि) मान-सम्मान को। दिशति = प्राप्त करती है। पापम् = बुराइयों को। अपाकरोति = दूर करती है। चेतः = चित्त को। प्रसादयति प्रसन्न करती है। दिक्षु सभी दिशाओं में। कीर्तिम् = यश को। तनोति = फैलाती है। कथय = कहिए (कथ् लोट् लकार म० पु० एकवचन)। सत्संगति = अच्छे लोगों का संग। पुंसाम् = मनुष्यों के लिए। किम् = क्या। न = नहीं। करोति = करता है।

 🇮🇳हिन्दी-अनुवाद,,-सत्संगति के महत्त्व को प्रकट करते हुए भर्तृहरि जी कहते हैं कि सत्संगति बुद्धि की जड़ता को दूर करती है, वाणी में सत्य का संचार करती है क्योंकि सन्मित्र सच बोलने के लिए प्रेरित करते हैं, मान और सम्मान को दिलाती है, बुराइयों को दूर करती है, चित्त को प्रसन्न करती है, चारों दिशाओं में यशः फैलाती है। अब कहिए कि सत्संगति मनुष्यों के लिए क्या नहीं करती है ? अर्थात् सब कुछ करती है। भावार्थ यह कि सत्संग के बहुत लाभ हैं इसलिए सदैव सत्संगति ही करें।

☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️☸️

जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धाः कवीश्वराः।

नास्ति येषां यशः काये जरामरण भयम्।। 25॥ 

🇮🇳अन्वयः-सुकृतिनः रससिद्धाः ते कवीश्वराः जयन्ति। येषां यशः काये जरामरणजं भयं न अस्ति।

🇮🇳शब्दार्श एवं व्याकरण-सुकृतिनः = अच्छे कर्म करने वाले। रससिद्धाः = शृंगारादि समस्त रसों के प्रयोग करने में सिद्धहस्त। ते = वे। कवीश्वराः = महाकवि। जयन्ति = विजयी होते हैं। येषाम् = जिनके। यशः काये = यशरूपी शरीर में। जरामरणजाम् = बुढ़ापे एवं मृत्यु से उत्पन्न। भयम् = डर। न अस्ति = नहीं है।

🇮🇳हिन्दी-अनुवाद--सत्कवियों की प्रशंसा करते हुए भर्तृहरि जी कहते हैं कि वे सौभाग्यशाली रसों के प्रयोग में सिद्धहस्त महाकवि संसार के विजेता हैं जिनके यशरूपी शरीर में बुढ़ापे और मृत्यु से उत्पन्न भय है ही नहीं। भावार्थ यह कि सत्कवि संसार में यश पाते हैं जिसके कारण वे अमर हो जाते हैं।

🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️

Comments

  1. Monikakalia
    Sr.no23
    Major history

    ReplyDelete
  2. Name Akshita Kumari Major Political Science Sr. No. 70

    ReplyDelete
  3. Poonam devi
    Sr no 23
    Major political science

    ReplyDelete
  4. Name : Palak
    Sr. No. 22
    Major:Hindi

    ReplyDelete
  5. Anjli
    Major-Political science
    Minor history
    Sr.n 73

    ReplyDelete
  6. Priyanka devi, Major History, Ser No 30.

    ReplyDelete
  7. Chetan choudhary Major pol science minor sr no 13

    ReplyDelete
  8. Tanvi Kumari
    Sr.no. 69
    Major. Pol.science

    ReplyDelete
  9. Sejal kasav
    Major sub.- pol science
    Minor sub.- hindi
    Sr.no.-01

    ReplyDelete
  10. Sr.no.49
    Major - political science
    Minor- history

    ReplyDelete
  11. Neha Devi
    Major History
    Sr no 62

    ReplyDelete
  12. Divya Kumari
    major political science.
    Sr.no 60.

    ReplyDelete
  13. Sonali dhiman political science Sr. no. 19

    ReplyDelete
  14. Name rahul kumar
    Major history
    Sr.no.92

    ReplyDelete
  15. Jagriti Sharma
    Serial no. 2
    Major-Hindi

    ReplyDelete
  16. Mamta Bhardwaj
    Sr no 01
    Major history

    ReplyDelete
  17. Mamta Bhardwaj
    Sr no 01
    Major history

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

ईशावास्योपनिषद 18 मंत्र

महाकवि दण्डी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व जीवन-चरित-

भर्तृहरि की रचनाएँ