नीतिशतक1️⃣2️⃣3️⃣
🕎🕎नीतिशतक1️⃣2️⃣3️⃣🕎🕎
✡️✡️✡️✡️✡️✡️✡️मङ्गलाचरणम्✡️✡️✡️✡️✡️✡️
दिक्कालाधनवच्छिन्नानन्तचिन्मात्रमूर्तये।
स्वानुभूत्येकमानाय नमः शान्ताय तेजसे ॥1॥
🇮🇳अन्वयः-दिक कालादि-अनवच्छिन्न अनन्त-चित्-मात्र मूर्तये स्वानुभूति एक-मानाय शान्ताय तेजसे नमः ।
🇮🇳शब्दार्थ एवं व्याकरण-दिक् = दिशा पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर तथा ईशान, ऊपर,नीचे, ये दशदिशाएँ चार प्रमुख तथा उनके मध्य की चार उपदिशाएँ। कालादि = भूत, वर्तमान एवं भविष्य । अनवच्छिन= अपरिमित यानि जो दिशाओं एवं समय की सीमाओं में सीमित नहीं है। अनन्त = अन्तरहित (न. अन्त नञ् समास) न के आगे स्वर आने पर न अन् में परिवर्तित हो जाती है इसलिए अन् • अन्त = अनन्त) । चिन्मात्रमूर्तये (चित् मात्र त् को न व्यंजन सन्धि) केवल चेतन स्वरूप। स्वानुभूति = अपना अनुभव। एकमानाय = एक मात्र प्रमाण (ईश्वर केवल निजी अनुभव का विषय है।) शान्ताय = शान्तिस्वरूप। तेजसे = ज्योतिस्वरूप यानि प्रकाशमय परमात्मा को। नमः = नमस्कार (नम: पद के कारण तेजस्, शान्त तथा मान आदि सभी पदों में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग हुआ है।)
🇮🇳हिन्दी-अनुवाद-भर्तृहरि जी नीतिशतक के आरम्भ में मङ्गलाचरण करते हुए कहते हैं कि दिशा और कालादि की सीमाओं से अपरिमित अर्थात् न मापे जा कने योग्य, अन्तरहित चैतन्य स्वरूप तथा अपना अनुभव ही जिसकी सत्ता में एक मात्र प्रमाण है; ऐसे शान्त और प्रकाश स्वरूप परमात्मा के लिए नमस्कार है।
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यां चिन्तयामि सततं मयि सा विरक्ता,
साऽप्यन्यमिच्छति जनं स जनोऽन्यसक्तः।
अस्मत्कृते च परितुष्यति काचिदन्या,
धिक् तां च तं च मदनं च इमां च मां च॥2॥
🇮🇳अन्वयः-(अहम्) यां सततं चिन्तयामि, सा मयि विरक्ता, सा अपि अन्यं जनम् इच्छति, सः जनः अन्यसक्तः ।काचित् अन्या अस्मत्कृते च परितुष्यति, धिक् तां च, तं च मदनं च, इमाम् च, माम् च।
🇮🇳शब्दार्थ एवं व्याकरण-याम् = जिसको (यत् शब्द स्त्रीलिंग द्वितीया एकवचन)। चिन्तयापि = सोचता हूँ।मालतम् = निरन्तर। सा = वह। मयि = मेरे पति (अस्मत् शब्द सप्तमी एकवचन)। विरक्ता = (वि रम् + क्त स्त्री०)
मारहित, सा = वह । अपि = भी। अन्यम् = किसी दूसरे। जनम् = व्यक्ति को। इच्छति = चाहती है। सः = वह। जनः=व्यक्ति। अन्यसक्तः = किसी दूसरे में अनुरक्त है (सञ् + क्त = सक्तः)। काचित् = कोई। अन्या - दूसरी।
अस्मत्कृते = मेरे लिए। च = और ः परितुष्यति = प्रसन्न होती है। धिक् = धिक्कार है। ताम् = उस स्त्री को। तम् -उस पुरुष को। मदनम् = कामदेव को। इमाम् = इस स्त्री को। माम् च = और मुझको।
🇮🇳हिन्दी अनुवाद-भर्तृहरि जी प्रेम के सन्दर्भ में सांसारिक घालमेल का वर्णन करते हुए कहते हैं कि मैं जिस स्त्री का निरन्तर चिन्तन करता हूँ यानि जिसे मैं चाहता हूँ, वह मुझ से प्रेम नहीं करती है, अपितु वह किसी दूसरे व्यक्ति को चाहती है तथा वह व्यक्ति किसी दूसरी स्त्री के प्रति आकृष्ट है। मेरे प्रति कोई अन्या स्त्री प्रसन्न है। इसलिए इस कुचक्र में उस स्त्री को, उस पुरुष को, कामदेव को, इस स्त्री को तथा मुझे भी धिक्कार है।
🇮🇳विशेष-यह श्लोक भर्तृहरि के निजी जीवन के घटनाक्रम पर प्रकाश डालता है क्योंकि भर्तृहरि अपनी रानी पिंगला से अतीव प्रेम करते थे परन्तु पिंगला राजमहल के किसी सेवक से प्रेम करती थी, सेवक किसी अन्य स्वी (वेश्या) में प्रेमासक्त था तथा वेश्या राजा भर्तृहरि से प्रेम करती थी। इस प्रकार सभी प्रेमी व्यभिचारी बने हुए थे। यह सब कामदेव की प्रबलता का कमाल है।
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✡️मूर्ख-पद्धति✡️
बोद्धारो मत्सरग्रस्ताः प्रभवः स्मय दूषिताः ।
अबोधोपहताश्चान्ये, जीर्णमङ्गे सुभाषितम्।। 3 ।।
🇮🇳अन्वयः-बोद्धारः मत्सर-ग्रस्ताः प्रभवः स्मयदूषिताः । अन्ये च अबोध उपहताः सन्ति। (अतः) सुभाषितम् अङ्गे जीर्णम्।
🇮🇳शब्दार्थ एवं व्याकरण-बोद्धारः = विद्वान् (जानकार) । मत्सरग्रस्ता = (मत्सरेणग्रस्ताः तृतीया तत्पुरुष समास) (इर्ष्या से पीड़ित । प्रभवः = राजा तथा अधिकारीगण। स्मयदूषिताः = (स्मयेन दूषिताः तृतीया तत्पुरुष समास) । अहंकार से ग्रसित। अन्ये च = और दूसरे। अबोध = (न बोध अबोध नञ् तत्पु०स०) अज्ञान । अबोधेन उपहताः अबोधोपहताः तृतीया
तत्पु० समास) अज्ञान से युक्त हैं। जीर्णम् = व्यर्थ हो गये। अङ्गेषु = कवियों के शरीर में ही। सुभाषितम् = सूक्तियाँ।
🇮🇳हिन्दी-अनुवाद-सुभाषितों की अवहेलना से दुःखी भर्तृहरि जी कहते हैं कि आज विद्वद्गण ईर्ष्या से ग्रसित हैं, राजा आदि अहंकार से युक्त हैं। समाज के अन्य लोग अज्ञान से युक्त हैं। अतः सुभाषितों में किसी की रुचि न होने के कारण वे कवियों के शरीर (बुद्धि) में पड़े-पड़े ही जीर्ण शीर्ण हो रहे हैं।
भावार्थ यह कि वर्तमान युग में अच्छी बातें सुनने को कोई तैयार ही नहीं है।
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Vishal bharti
ReplyDeleteMajor political science
Sr no 16
Name:Priti
ReplyDeleteSr.no.24
Pallavi pathania majer history sr.45
ReplyDeleteAnjlee
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Major history
Anchal
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Major history
Sejal kasav
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Major sub.- hindi
Sr.no.- 01
Name tanu guleria
ReplyDeleteMinor. Hindi
Sr. No.32
Sujata Sharma
ReplyDeleteserial no 8
major history
Anjlee
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Name. Monika
ReplyDeleteSr.no23
Major. History
Name. Monika
ReplyDeleteSr.no23
Major. History
Mehak
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Major.political science
Mohini sharma
ReplyDeleteSr. No.18
History
Aarti,
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Sr.no.5
Aarti,
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Sr.no.5
Anjlee
ReplyDeleteSr no 36
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Shivani Devi
ReplyDeleteSr no 46
Major Hindi
Minor history
Name Leela Devi
ReplyDeleteSr no 41
Major hindi
Mamta devi sr no 147
ReplyDeleteRiya thakur
ReplyDeleteSr. No. 22
Major political science
Name Simran kour
ReplyDeleteSr no 36
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Sonali dhiman political science Sr. no. 19
ReplyDeleteJagriti Sharma
ReplyDeleteSerial no. 2
Major-Hindi
Monikasharma sr no.26
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Poonam devi
ReplyDeleteSr no 23
Major political science
Poonam Devi
ReplyDeleteSr no 23
Major political science
Priyanka Devi
ReplyDeleteSr.no.23
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Isha
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Sr.no 10
Akriti choudhary
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Sr no 11
Name Akshita Kumari Major Political Science Sr. No. 70
ReplyDeleteAnshika Kumari
ReplyDeleteSr. no. 7
Tanvi Kumari
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Major pol. Science
Anjlee
ReplyDeleteSrno 36
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ReplyDeleteSr.no.49
ReplyDeleteMajor - political science
Minor - history
Manu
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Sr no 75
Rishav sharma major pol science sr no 65
ReplyDeleteName- Anjli
ReplyDeleteMajor- Political science
Minor- history
S.no- 73
Name- pallvi choudhary
ReplyDeleteMajor- pol. Sc
Minor- history
Serial no-72
Name Richa Sr.no 35
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Divya Kumari
ReplyDeleteSr.No 60.
Major pol science.
Komal major hindi sr no 43
ReplyDeleteName Priya major history sr.no 6
ReplyDeleteName jyotika Kumari Major hindi Sr no 5
ReplyDeleteVivek Kumar Pol science sr no 38
ReplyDeleteName Arti Sharma
ReplyDeleteSr no 32
Major Hindi
Minor pol science
Pritika
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Sr no.39
Name Priyanka devi Major History Ser No 30
ReplyDeleteakanksha sharma sr no 13
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Taniya Devi SR no 37
ReplyDeleteRahul kumar
ReplyDeleteSry no. 92
Sr no 147 major history
ReplyDeleteName Simran kour
ReplyDeleteSr no 36
Major history
Rishav sharma major pol science sr no 65
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