पिंगल
पिंगल- आपने वेदों के 5 वें अंग छंद पर, छन्द:सूत्र नामक
सूत्ररूप ग्रंथ की रचना की। इसके 8 अध्याय हैं। इसमें
प्रारंभ से लेकर चौथे अध्याय के 7 वें मत्र तक वैदिक छंदों
के लक्षण बताये हैं और उसके पश्चात् लौकिक छंदों का
वर्णन किया है। आप पिंगलाचार्य अथवा पिंगलानाग के नाम
से भी जाने जाते थे। आपके काल के बारे में पर्याप्त जानकारी
उपलब्ध नहीं है। कीथ ने आपका काल ईसा पूर्व 200 वर्ष
निश्चित किया है। छन्दःसूत्र पर लिखी गई भाव-प्रकाश नामक
में आपको पाणिनि का छोटा भाई बताया गया है।
ल ने अपने ग्रंथ में क्रौष्टुकी, यास्क, काश्यप, गौतम,
अंगिरस, भार्गव, कौशिक, वसिष्ठ, सेतव प्रभृति आचार्यों का
उल्लेख किया है।
Comments
Post a Comment