आपस्तंब

आपस्तंब- भृगुकुलोत्पन एक सूत्रकार ब्रह्मर्षि कश्यप ऋषिने दिति से जब पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराया, तब आपस्तंब उसके आचार्य थे। पत्नी का नाम अक्षसूत्रा एवं पुत्र का ककि था।तैत्तिरीय शाखा (कृष्णयजुर्वेद की 15 अध्वर्यु शाखाओं में से एक) की एक उपशाखा के सूत्रकार । याज्ञवल्क्य-स्मृति में स्मृतिकार के रूप में इनका उल्लेख है।

सर्वश्री केतकर, काणे एवं डॉ. बूल्हर"के अनुसार, आपस्तंब आंध्र के रहे होंगे। ग्रंथरचना- 1. आपस्तंब श्रौतसूत्र, 2. आ.गृह्यसूत्र, 3. आ. ब्राह्मण, 4. आ. मंत्रसंहिता, 5. संहिता, 6.आ. सूत्र, 7. आ. स्मृति, 8. आ. उपनिषद्, 9. आ.अध्यात्मपटल, 10. आ. अन्त्येष्टिप्रयोग, 11. आ. अपरसूत्र,12. आ. प्रयोग, 13. आ. शुल्बसूत्र और 14. आ. धर्मसूत्र ।

आपस्तंब-धर्मसूत्र का रचनाकाल ई. पूर्व 6 से 3 शती

है। इनके माता-पिता के नाम का पता नहीं चलता। निवास-स्थांन के बारे में भी विद्वानों में मतैक्य नहीं है। डॉ. बूलर प्रभृति के अनुसार ये दाक्षिणात्य थे, किंतु एक मंत्र में यमुनातीरवर्ती साल्वदेशीय स्त्रियों के उल्लेख के कारण इनका निवास-स्थान मध्यदेश माना जाता हैं।

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