✡️ भारद्वाज ✡️
✡️ भारद्वाज ,,पाणिनि के पूर्ववर्ती वैयाकरण व अनेक शास्त्रोके निर्माता। पे. युधिष्ठिर मीमांसक के अनुसार इनका समय 9300 वर्ष वि.पू.है। इनकी व्याकरण-विषयक रचना तंत्र" थी जो संप्रत्ति उपलब्ध नहीं है। "ऋक्तंत्र (1-4) में इन्हें ब्रह्म, बृहस्पति व इंद्र के पश्चात् चतुर्थ वैयाकरण माना गया। इसमें यह भी उल्लिखित है कि भारद्वाज को इंद्र द्वारा व्याकरण-शास्त्र की शिक्षा प्राप्त हुई थी। इंद्र ने उन्हें घोषवत् व उष्म वर्णों का परिचय दिया था । (ऋक्तंत्र 1-4)
"वायु-करण" के अनुसार भारद्वाज दो पुराण की शिक्षा तृणंजय से प्राप्त हुई थी। (103-63)। कोटिल्य कृत "अर्थशास्त्र से ज्ञात होता है कि भारद्वाज ने किसी अर्थशास्त्र की भी रचना की थी (12-1) । वाल्मीकि रामायण के अनुसार उनकाआश्रम प्रयाग में गंगा-यमुना के संगम पर था (अयोध्याकांड, सर्ग 54)। भारद्वाज बहुप्रतिभासंपतन्न व्यक्ति थे उनकी अनेक रचनाएं हैं - भारद्वाज-व्याकरण, आयुर्वेद-संहिता, धनुर्वेद,अर्थशास्त्र । प्रकाशित ग्रंथ-1. यंत्रसर्वस्व राज्यशास्त्र,(विमानशास्त्र) ओर 2. शिक्षा। इनके प्रकाशक क्रमशः आर्य सार्वदेशिक प्रतिनिधि सभा, दिल्ली तथा भांडारकर रिसर्च इन्स्टिट्यूट, पुणे हैं।
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