असंग (आर्य वसुबंधु असंग)
प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिकअसंग (आर्य वसुबंधु असंग)
वसुबंधु के ज्येष्ठ भ्राता। पुरुषपुर (पेशावर) निवासी कौशिक गोत्रीय ब्राह्मण-कुल में जन्म । समय तृतीय शताब्दी के अंत व चतुर्थ शताब्दी के मध्य में। समुद्रगुप्त के समय में विद्यामान। गुरु- मैत्रेयनाथ। बौद्धों के योगाचार-संप्रदाय के विख्यात आचार्य। इनके ग्रंथ चीनी भाषा में अनूदित हैं (उनके संस्कृत रूपों का पता नहीं चलता) इनके ग्रंथों का विवरण इस प्रकार है -
(1) महायान संपरिग्रह- इसमें अल्यंत संक्षेप में महायान सिद्धांतों का विवेचन है चीनी भाषा में इसके 3 अनुवाद प्राप्त होते हैं।
(2) प्रकरण आर्यवाचा यह ग्रंथ 11 परिच्छेदों में विभक्त है। इसका प्रतिपाद्य है योगाचार का व्यावहारिक एवं नैतिक पक्ष। ह्वेनसांग कृत चीनी अनुवाद उपलब्ध है।
(3) योगाचारभूमिशास्त्र अथवा सप्तदश भूमिशास्त्र- यह ग्रंथ अत्यंत विशालकाय है। इसमें योगाचार के साधन-मार्गका विवेचन है। संपूर्ण ग्रंथ अपने मूल रूप में (संस्कृत में)हस्तलेखों में प्राप्त है। राहुलजी ने इसका मूल हस्तलेख प्राप्त किया था। इसका छोटा अंश (संस्कृत में) प्रकाशित भी हो चुका है।
(4) महायानसूत्रालंकार। ये अपनी रचनाओं के. कारण अनेक गुरु से भी सुप्रसिद्ध हुए।
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