पद्मगुप्त (परिमल)

 पद्मगुप्त (परिमल)- ई. 11 वीं शती। पिता-मृगांकगुप्त ।


धारा नगरी के सिंधुराज के ज्येष्ठ भ्राता राजा मुंज के आश्रित

कवि। इन्होंने संस्कृत साहित्य के सर्वप्रथम ऐतिहासिक 

महाकाव्यकी रचना की। इस महाकाव्य का नाम है 

"नवसाहसाङ्कचरित"।यह इतिहास एवं काव्य दोनों ही दृष्टियों से

मान्यता प्राप्त है।

इस महाकाव्य के 18 सर्ग हैं, और इसमें सिंधुराज के

पूर्वजों अर्थात् परमारवंशीय राजाओं का वर्णन किया गया है।

इस कृति पर महाकवि कालिदास के काव्य का प्रभाव परिलक्षित

होता है। इसकी रचना सन 1005 के आसपास हुई थी।

इसका, हिन्दी अनुवाद सहित प्रकाशन चौखम्बा-विद्याभवन से

हो चुका है ।पद्मगुप्त "परिमल कालिदास" कहलाते थे । धनिक व

मम्मट ने इन्हें उद्धुत किया है।




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