✡️संस्कृत साहित्य प्रश्नोत्तरी ✡️ वेदांग ✡️ भाग 14 ✡️ संस्कृत विश्वकोश

 ✡️> वेदाङ्ग शब्द का वर्णन किया गया है।

-मुण्डकोपनिषद् में

✡️अंग का अर्थ है।

-उपकार करने वाला

✡️> वेद का उपकारक है।

-वेदाङ्ग

✡️> वेदाङ्गों का मुख्य उद्देश्य है।

-तीन

✡️> वेदों का अर्धबोध होता है।

-व्याकरण तथा निरुक्त से

✡️> वेदों का सही उच्चारण होता है।

-शिक्षा तथा छन्द से

✡️वेदों का याज्ञिक प्रयोग होता है।

-कल्प तथा ज्योतिष से

✡️वेदाङ्ग सामान्यतया लिखे गए हैं।

-सूत्र शैली में

✡️वेदाङ्रों को वेद-पुरुष के विविध अवयवों का रूपक

कहा गया है

-पाणिनीय शिक्षा में

✡️'छन्द: पादौ तु वेदस्य' यह सम्बद्ध है।

-पाणिनीय शिक्षा से

✡️'निरुक्तं श्रोत्रमुच्यते' यह सम्बद्ध है।

-पाणिनीय शिक्षा से

✡️> वेदाङ्ग कितने है

    -6

✡️वेदरूपी पुरुष का 'पैर' कहा गया है।

-छन्द को

✡️> वेदरूपी पुरुष का 'हाथ' कहा गया है।

-कल्प को

✡️> वेदरूपी पुरुष की 'आँख' कहा गया है।

-ज्योतिष को

✡️> वेदरूपी पुरुष का 'कान' कहा गया है।

-निरुक्त को

✡️> वेदरूपी पुरुष की 'नाक' कहा गया है।

-शिक्षा को

✡️वेदरूपी पुरुष का 'मुख' कहा गया है।

-व्याकरण को

✡️> शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छन्द और ज्योतिष

हैं।

-वेदाङ्ग

✡️वेदाङ्गों के नाम तथा क्रम का उल्लेख सर्वप्रथम प्राप्त

होता है।

-मुण्डकोपनिषद् में

✡️> 'वर्णस्वरवर्णाद्युच्चारणप्रकारो यत्र शिक्ष्यते उपदिश्यते" वह है।

-शिक्षा

✡️> जिसके द्वारा हमें वैदिक मन्त्रों के शुद्धातिशुद्ध उच्चारण

का ज्ञान होता है, वह है।

-शिक्षा

✡️> वर्तमान में उपलब्ध शिक्षा ग्रन्थ हैं।

-34

✡️> वेदाङ्ग विद्या है

-अपरा

✡️> वेदाङ्ग अपरा विद्या है, इसका उल्लेख कहाँ हुआ

है?

-मुण्डकोपनिषद् में

✡️> शिक्षावल्ली में शिक्षा के अंग हैं।

-6

✡️शिक्षावल्ली है।

-तैत्तिरीयोपनिषद् में

✡️वर्णों की संख्या है।

-64

✡️स्वरों कितने  हैं।

-तीन  (उदात्त, अनुदात्त, स्वरित  )

✡️> मात्रा के भेद हैं।

-तीन 1. हस्व 2. दीर्घ 3. प्लुत

✡️स्वरों के उच्चारण में लगने वाले समय को कहते हैं।

-मात्रा


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