प्रस्थानत्रयी

श्रीमद्भगवद्गीताब्रह्मसूत्र तथा उपनिषदों को सामूहिक रूप से प्रस्थानत्रयी कहा जाता है जिनमें प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों मार्गों का तात्त्विक विवेचन है। ये वेदान्त के तीन मुख्य स्तम्भ माने जाते हैं। इनमें उपनिषदों को श्रुति प्रस्थान, भगवद्गीता को स्मृति प्रस्थान और ब्रह्मसूत्रों को न्याय प्रस्थान कहते हैं। प्राचीन काल में भारतवर्ष में जब कोई गुरू अथवा आचार्य अपने मत का प्रतिपादन एवं उसकी प्रतिष्ठा करना चाहता था तो उसके लिये सर्वप्रथम वह इन तीनों पर भाष्य लिखता था। निम्बार्काचार्यआदि शंकराचार्यरामानुजाचार्यमध्वाचार्य आदि बड़े-बड़े गुरुओं ने ऐसा कर के ही अपने मत का प्रतिपादन किया।

Comments

Popular posts from this blog

ईशावास्योपनिषद 18 मंत्र

महाकवि दण्डी का व्यक्तित्व एवं कृतित्व जीवन-चरित-

भारवि और उनके किरातार्जुनीयम् का परिचय