अनुष्टुप छंद

श्लोके षष्ठं गुरु ज्ञेयं सर्वत्र लघु पंचमम्।
द्विचतुष्पादयोर्ह्रस्वं सप्तमं दीर्घमन्ययोः॥

अनुष्टुप् छन्द में चार पाद होते हैं। प्रत्येक पाद में आठ वर्ण होते हैं। इस छन्द के प्रत्येक पद/चरण का छठा वर्ण गुरु होता है और पंचमाक्षर लघु होता है। प्रथम और तृतीय पाद का सातवाँ वर्ण गुरु होता है तथा दूसरे और चौथे पाद का सप्तमाक्षर लघु होता है। इस प्रकार पादों में सप्तमाक्षर क्रमश: गुरु-लघु होता रहता है - अर्थात् प्रथम पाद में गुरु, द्वितीय पाद में लघु, तृतीय पाद में गुरु और चतुर्थ पाद में लघु। प्रत्येक आठवें वर्ण के बाद यति होती है

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