संस्कृत विश्वकोश,, वेद ब्राह्मण आरण्यक गीता उपनिषद तथा उत्तररामचरितम् से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
👉वेदों को श्रुति भी कहा जाता है,
👉वेदों की संख्या चार है जो इस प्रकार है।
1-ऋग्वेद 2-यजुर्वेद 3-सामवेद 4-अथर्ववेद।
👉वेद:-अपौरुषेयं वाक्यम्
👉वेदों का विभाजन कृष्णद्वैपायन वेदव्यास जी ने किया था वेद शब्द का अर्थ है -ज्ञान।
👉वर्ण व्यवस्था का प्रथम उल्लेख ऋग्वेद में है।
👉वेदों को अपौरुषेय मीमांसक मानते हैं।
👉मीमांसा की दृष्टि से वेद के प्रकार हैं- विधि-मन्त्र - नामधेय- निषेध-अर्थवाद।
👉श्रुतिः शब्द का व्युत्पत्ति अर्थ है - श्रृणोति धर्मं य:।
👉मन्त्र व ब्राह्मण के समुदाय को संहिता कहा जाता है, वेदों के काव्यात्मक हिस्से को संहिता कहा जाता है।
👉संहिता पाठ के बाद पदपाठ किया जाता है।
👉वेदत्रयी के अन्तर्गत तीन वेद आते है, जो इस प्रकार है- ऋवेद, यजुर्वेद, सामवेद।
👉वेद का आरम्भ संहिता पाठ से किया जाता है।
👉- सायण के मत में वेद-इष्टप्राप्यनिष्टपरिहारस्यालौकिकोपायं यो ग्रन्थो वेदयति सः वेदः ।
👉मनु ने नास्तिको को वेद निन्दक कहा जाता है। नास्तिको वेद निन्दकः ।
👉- ऋक - प्रतिशाख्य का सम्बन्ध किस वेद से है- ऋग्वेद से।
👉- होता ऋग्वेद में मन्त्रों का उच्चारण करता है।
👉- छन्दोबद्ध वेद ऋग्वेद है। सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद को ही कहा जाता है।
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👉ऋग्वेद को दशतयी नाम से भी जाना जाता है।
👉- आयुर्वेद ऋग्वेद का ही उपवेद है,
👉मण्डलक्रम से विभाजन ऋग्वेद का हुआ है।
👉- ऋवेद की सृष्टि अग्नि से हुई अर्थात् ऋग्वेद हमें अग्नि देव से प्राप्त हुआ।
👉- ऋग्वेद में सूक्तों की संख्या 1028 है।
👉महाभाष्यकार पतंजलि के अनुसार ऋग्वेद की 21 शाखाएं थी।
👉शाकलशाखा का सम्बन्ध ऋग्वेद से है।
👉- शाकल, वाष्कल व माण्डूकायनशाखा ऋग्वेद की शाखाएं है।
👉- ऋग्वेद के दशम् मण्डल में 191 सूक्त है। ऋग्वेद की मूल लिपि ब्राह्मी लिपि थी।
👉- स्कन्दस्वामी का भाष्य ऋग्वेद पर है।
👉 ऋग्वेद की 05 शाखाएं है परन्तु वर्तमान में एक ही शाखा हमें प्राप्त होती है जिसका नाम शाकल शाखा है।
👉 ऋग्वेद के पदपाठकार कौन थे-शाकल्य।
👉- वंशीयमण्डल किस वेद में है- ऋ्वेद में।
👉 दान से सम्बन्धित स्तुतियाँ ऋग्वेद में आती है।
👉- पुरुषसूक्त ऋग्वेद में आता है, पुरुष सूक्त ऋगवेद के 10 वें मण्डल में है।
👉- ऋग्वेद के मन्त्रों को ऋचा कहा जाता है।
👉 पुरूरवा-उर्वशी संवाद ऋग्वेद में है।
👉 ऋग्वेद में वंशमण्डल को पारिवारिक मण्डल भी कहा जाता है वंशमण्डल को दो से सात मण्डल तक माना गया है।
👉- जलाष यह किसका विशेषण है-रुद्र का।
👉- हरिक्षन्द्रोपाख्यान कहाँ है- ऐतरेयत्राह्मण में।
👉- उपनिषद को वेदान्त भी कहा जाता है।
👉 शुक्लयजुर्वेद गद्यात्मक वेद है।
👉 ऋग्वेद में आठ आष्टक 64 अध्याय, 2006 वर्ग व 10580 मन्त्र है।
👉गद्यात्मक वेद है-यजुर्वेद।
👉- यजुर्वेद एक ऐसा वेद हैं जिसमें गद्य व पद्य दोनों है।
👉- यजुर्वेद का प्रतिपाद्य विषय कर्मकाण्ड है।
👉किस वेद को अध्वर्युवेद भी कहा जाता है-यजुर्वेद को।
👉व्यास जी द्वारा यजुर्वेद का ज्ञान वैशम्पायन को दिया गया था।
👉- यजुर्वेद हमें वायु से प्राप्त हुआ है।
👉धनुर्वेद यजुर्वेद का उपवेद है।
👉पतंजलि के अनुसार यजुर्वेद की कितनी शाखायें हैं-एक सौ ( 100)
👉यज्ञ का नेता कौन होता है-अध्वर्यु ।
👉- अध्यर्युः किस वेद का ऋत्विक् है-यजुर्वेद का ।
👉- अध्वर शब्द का क्या अर्थ है-यज्ञ।
👉- देवस्य त्वा सवितुः प्रसवेऽश्विनोर्बाहुभ्यां पूष्णो हस्ताभ्याम् यह मन्त्र किस वेद का है-यजुर्वेद।
👉- यज्ञ-संचालन के लिए उपयोगी मन्त्रों को क्या कहते है-यजुस्।
👉 यजुर्वेद के कितने सम्प्रदाय हैं-दो (ब्रह्मसम्प्रदाय, आदित्यसम्प्रदाय) ।
👉- ब्रह्मसम्प्रदाय का वेद कौन सा है-कृष्ण यजुर्वेद।
👉- कृष्ण यजुर्वेद के कृष्णत्व का कारण क्या है-मंत्र व ब्राह्मण मिले हैं (विनियोगमिश्रत्वं कृष्णत्वम्)।
👉- कृष्ण यजुर्वेद का स्वरूप कैसा है -गद्य पद्यात्मक।
👉आदित्य सम्प्रदाय का वेद कौन सा है-शुक्ल यजुर्वेद।
👉- शुक्ल यजुर्वेद की संहिता का नाम क्या है-वाजसनेयी संहिता।
👉- शुक्ल यजुर्वेद का स्वरुप कैसा है-गद्यात्मक।
👉 शवदाह के मन्त्र यजुर्वेद के किस अध्याय में है- 35 वें अध्याय में।
👉कृष्णयजुर्वेदीय काठक संहिता 5 स्थानकों में विभेदित हैं,जो इस प्रकार है- इठिमिका, मध्यमिका, ओरिमिका, याज्यानुवाक्या,अश्षमेधाद्यनुवचन।
👉 शुक्ल यजुर्वेद का श्रौतसूत्र कौन सा है- कात्यायन श्रीौतसूत्र
👉- शुक्ल यजुर्वेद का गृहयासूत्र-पारस्कर गृहासूत्र काण्ड
👉- शुक्ल यजुर्वेद के शुल्वसूत्र-1-बौधायन शुल्बसूत्र 2-मानव शुल्बसूत्र 3- आपस्तम्ब शुल्बसूत्र 4-कात्यायन शुल्बसूत्र 5-
मैत्रायणीय शुल्बसूत्र 6-हिरण्यकेशी या सत्याषाढ़ शुल्बसूत्र 7-वाराहशुल्बसूत्र ।
👉सामवेद का अपर नाम क्या है-गानवेद।
👉उत्तरार्चिक का किस वेद से सम्बद्ध है-सामवेद से।
👉संगीत का प्राचीनतम ग्रन्थ है -सामवेद।
👉उद्गाता का सम्बन्ध किस वेद से है-सामवेद से।
👉सामवेदीय ऋत्विक् को क्या कहा जाता हैं- उद्ाता॥
👉सामवेद हमें किससे प्राप्त होता हैं-सूर्य से।
👉सामवेद संहिता का उपवेद है-गान्धर्व वेद।
👉सामवेद को कितनी शाखाएं है-03
👉वर्तमान में सामवेद की कितनी शाखाएं उपलब्ध होती है-03
👉- सामवेद को सहस्त्रशासखा भी कहा जाता है।
👉- राणायनीयशाखा किस वेद की शाखा है-सामवेद की।
👉- जैमिनीय शाखा किस वेद से सम्बन्धित है-सामवेद से।
👉- कौधुमशाखा किस वेद की है- सामवेद की ।
👉- गान की प्रधानता किस वेद में है-सामवेद में।
👉- सामवेद में गान के कितने प्रकार है-05
👉- ऋक्तन्त्र किस वेद के लिये है-सामवेद के लिये।
👉- सामवेद का प्रमुख प्रतिपाद्य विषय है-गान।
👉 सामवेद के पूर्वाचिक का अपर नाम क्या है-छन्दसंहिता।
👉 सामवेद में साम का क्या अर्थ है गायन
👉- रथन्तर जिसका प्रकार है वह है-सामगान।
👉- स्तोम की प्रधानता किसमें है-सामवेद में।
👉- तत्त्वमसि श्रुति कहां है- सामवेद में।
👉- सामवेद के मन्त्रों का गायन कौन करता है-उद्गाता।
👉अथर्ववेद संहिता के द्रष्टा अथर्व ऋषि है।
👉-भैषज्य सूक्त कहाँ है-अथर्ववेद।
👉-वैतानश्रौतसूत्र कहाँ है- अथर्ववेद में
👉ब्रह्मवेद किसे कहते हैं-अथर्ववेद।
👉अथर्ववेद का ऋत्विक् कौन है-ब्रह्म।
👉ब्रह्म का कार्य -यज्ञ का निरीक्षण, अशुद्धियों का संसोधन, संकट का निवारण, भ्रम का समाधान करना
👉- अथर्ववेद के अन्य नाम क्या है- क्षत्रवेद, भैषन्यवेद, महीवेद, छन्दोवेद, आंगिरासवेद, ब्रहम्मवेद, अरथवगिसवेद, भृग्वंगिरो
👉- महाभाष्य के अनुसार अथर्ववेद की नौ शाखाएं थी।
👉- शौनकीय अथर्ववेद का विभाजन किस प्रकार किया गया है- काण्ड- 20, सूक्त -731, मंन्त्र- 5987
👉- पैप्लाद संहिता का प्रथम मन्त्र है-शत्रो देवीरभिष्टये।
👉- अथर्ववेद की वर्तमान में प्रचलित शाखा कौन सी है-शौनकीय।
👉- अथर्ववेद में 1200 मंत्र ऋग्वेद से लिए गए हैं
👉माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः कहां से उद्धत है-अथर्ववेद के पृथिवी सूक्त से।
👉- पृथिवी सूक्त अथर्ववेद के किस काण्ड में है-12वें काण्ड का प्रथम सूक्त।
👉- पृथिवी सूक्त में कितने मन्त्र है-63
👉- पृथ्वी सूक्त का अपरनाम क्या है-भूमि सूक्त।
👉 आयुर्वेदशास्त्र का उद्रम किन सूक्तों को कहा जा सकता है-भैषज्य सुक्त।
👉- भैषज्य सूक्त कहां प्राप्त होते है - अथर्ववेद में
👉- औद्वाहिक सूक्त कहां प्राप्त होते है-अथर्ववेद में।
👉 स्त्रियों का वेद किसे कहा जाता है-अथर्ववेद को।
👉- सार्वजनिक वेद या जनता का वेद किसे कहा जाता है-अथर्ववेद को
👉- किसने सर्वप्रथम अग्नि का आविष्कार किसने किया था- अथर्वा ने।
👉- गोपथब्राह्मण के अनुसार अथर्व का अर्थ क्या है-समीपस्थ आत्मा को अन्दर देखना।
👉 अथर्ववेद का उपवेद कौन सा है-स्थापत्यवेद या शिल्पवेद।
👉 स्थापत्यवेद के प्रमुख आचार्य कौन है - विश्वकर्मा।
👉- गोपथब्राह्मण के अनुसार अथर्ववेद के कितने उपवेद थे-पांच -सर्पवेद, पिशाचवेद, असुरवैद, इतिहासवेद, पुराणवेद।
👉- जाजलशाखा किस वेद की शाखा है- अथर्ववेद।
👉- पैप्पलादशाखा जिस वेद की है, वह है- अथर्ववेद।
👉 जैमिनीय ब्राह्मण-सामवेद की जैमिनीय शाखा के इस ब्राह्मण का दूसरा नाम तवलकार ब्राह्मण है। इस ब्राह्मण मे
5 अध्याय है। यजुर्वेद के शतपथ ब्राह्मण के समान यह ब्राह्मण विशालकाय है।
👉- अथर्ववेद का ब्राह्मण -गोपथ ब्राह्मण
👉 गोपथ के दो भाग है -1-पूर्व गोपथ 2- उत्तरगोपथ।
👉पूर्व गोपथ में 5 प्रपाठक है, उत्तरगोपथ में छ: प्रपाछक है। गोपथ ब्राह्मण में कुल 258 कण्डिकाएँ है।
👉- गोपथ ब्राह्मण का सम्बन्ध अथर्ववेद की शौनकीय शाखा से है।
👉- ब्राह्मण ग्रन्थों में यज्ञानुष्ठान का वर्णन है।
👉- हरिश्चन्द्रोपाख्यान किस ब्राह्मण से मिलता है-ऐतरेयब्राह्मण।
👉- जिस ग्रन्थ में पुरुषमेध का उल्लेख हुआ है,वह है -शतपथ ब्राह्मण।
👉- यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म यह वाक्य किस ब्राह्मण में है-शतपथब्राह्मण।
👉- शतपथ ब्राह्मण का आंग्ल अनुवाद किसने किया जे. एग्लिंमहोदय ने।
👉- गोपथ ब्राह्मण के अनुसार सर्पवेद जिसका उपवेद है, वह है-अथर्ववेद।
👉- ऐतरेय ब्राह्मण में कौन सा प्रसिद्ध आख्यान है-शुन: शेपाख्यान।
👉- शुन: शेपाख्यान का अपरनाम क्या है-हरिश्वन्द्रोपाख्यान।
👉 कौषीतकि ब्राह्मण का अपर क्या है-शाखायन ।
👉- ऐतरेय ब्राह्मण का सम्बन्ध ऋ्वेद की किस शाखा से है - शाकल शाखा से।
👉आरण्यक ग्रन्थ-रचनाक्रम की दृष्टि से वैदिक साहित्य में ब्राह्मण -ग्रन्थों के पश्चात् आरण्यक ग्रन्थों का स्थान आता है।
👉आरण्यक शब्द की उत्पत्ति अरण्यम् से हुई है। संस्कृत में अरण्यम् का अर्थ है-वन।
👉जिन ग्रन्थों की रचना अरण्य (वन) में रहने वाले मुनियों और वानप्रस्थियों के लिए उपयुक्त यज्ञों की दृष्टि से हुई, उन्हेंआरण्यक् कहा जाता है।
👉 आरण्यकों में उन यज्ञों का वर्णन है, जिनका विधि-विधान बहुत सरल है और जिन्हें सम्मन्न करने के लिए बहुत कम साधनों की आवश्यकता पड़ती है,जिससे वन में रहने वाले मुनिगण एवं वानप्रस्थी भी उनको सम्पन्न कर सके।
👉इनमें यज्ञों के मूल में रहने वाले आध्यात्मिक तत्वों का विस्तृत विवेचन है।
👉ब्राह्मण ग्रन्थों की भौँति प्रत्येक वेद के अलग-अलग अनेक आरण्यक ग्रन्थ है, जिनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार है-
1-ऋवेद -ऐतरेय, शांखायन, आरण्यक।
2-यजर्वेद-माध्यन्दिन, काण्व, तैत्तिरीय, मैत्रायणी आरण्यक।
3-सामवेद-तवल्लकार, (जैमिनीयोपनिषद्) छान्दोग्य आरण्यक।
👉अरण्याध्ययनादेतदारण्यकमितीर्यते किसका कथन है-सायणाचार्य का।
👉सायण के मत में अरण्य में किस का पाठ होता था-आरण्यकों का
👉आरण्यकों का मुख्य विषय क्या है-ज्ञान।
👉आरण्यक का सम्बन्ध किस आश्रम से सम्बन्धित है-वानप्रस्थ आश्रम से।
👉सामवेद में कितने आरण्यक है-दो।
👉आरण्यकञ्च वेदेभ्यः औषधिभ्योऽमृतं यथा यह किसने कहा-कृष्णद्वैपायन ने ।
👉- ऐतरेय आरण्यक है-ऋग्वेद में।
👉- सत्यं वद धर्म चर स्वाध्यायन्मा प्रमदितव्यम् किस उपनिषद् के वाक्य है- तैत्तिरीयोपनिषद् ।
👉- मातृदेवो भव आचार्यदवो भव अतिथिदेवो भव किस उपनिषद के वाक्य है-तैत्तिरीयोपनिषद्।
👉- रसो वै स: यह तैत्तिरीयोपनिषद् का है।
👉- सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म किस उपनिषद् का वाक्य है-तैत्तिरीयोपनिषद्।
👉- प्रज्ञानं ब्रह्म किस उपनिषद का वाक्य हैं-ऐतरेयोपनिषद् का
👉 यो वै भूमा तदमृतम्, अथयदल्पं तन्मत्त्यम् किस उपनिषद् में है-छान्दोग्योपनिषद् में।
👉- नारद -सनत्कुमार संवाद किस उपनिषद् में हैं-छान्दोग्योपनिषद् में।
👉- बृहदारण्यकोपनिषद् का सम्बन्ध किस वेद से है-शुक्लयजुर्वेद से।
👉- वाजश्रवा के पुत्र कौन है- नचिकेता।
👉वेदांग-वेदों और उनके सहायक ब्राह्मणादि ग्रन्थों के अध्ययन को सुगम बनाने के लिए छह प्रकार के ग्रन्थों की रचना की गईं।ये क्योंकि वेदों के अध्ययन में सहायक हैं, अत: ये वेदों का ही अभिन्न अंग हैं, इसीलिए इन्हें वेदांग कहा जाता हैं। ये वेदांग छह हैं-
1-शिक्षा 2-व्याकरण 3-निरुक्त 4-छन्द 5-कल्प 6-ज्योतिष।
👉वेदों के यथार्थ ज्ञान के लिए जिन साधनों की उपयोगिता थी उन्हे वेदांग कहा गया।
👉वेदांग विषयक प्रथम उल्लेख मुण्डकोपनिषद् में चार वेदों के साथ इस प्रकार मिलता हैं-
तत्रापरा ऋग्वेदो यजुर्वेदः सामवेदोऽर्थवेदः, शिक्षा कल्पो व्याकरणं निरुक्तं छन्दों ज्योतिषमिति ।
👉शिक्षा वेदांग के कितने विषय बताये गुये हैं-6 विषय (वर्ण, स्वर, मात्रा, बल, साम, सन्तान)
👉पाणिनीयशिक्षा में शम्भु के मत में कितने वर्णों का उल्लेख है-63/ 64।
👉- स्वर कितने प्रकार के होते है- तीन प्रकार के।
👉- उच्चारण में लगने वाले काल को क्या कहते हैं-मात्रा।
👉- शिक्षा वेदांग के प्राचीनतम ग्रन्थ कौन सा है-प्रातिशाख्यग्रन्थ।
👉- ब्राह्मणग्रन्थों में विहित कर्मों का व्यवस्थित वर्णन करने वाला वेदांग कौन सा है-कल्प
👉- कल्पवेदांग को वेद पुरुष का कौन सा अवयव माना गया है- हस्त
👉- कल्पवेदांग के कितने भेद हैं-चार भेद। 1- श्रोतसूत्र 2-गृह्यसूत्र 3-धर्मसूत्र 4-शुल्वसूत्र।।
👉- श्रोतसू्त्रों में किनका वर्णन है-यज्ञ
👉- शुल्वसूत्रों में किनका वर्णन है- यज्ञवेदि के निर्माण का।
👉- उत्तरामचरित विदूषक रहित नाटक है।
👉उत्तररामचरित में सर्वाधिक श्लोक अनुष्टुप छन्द में 84 श्लोक है।
👉- वामदेव ऋषि द्वारा अभिमंत्रित यज्ञ का घोड़ा छोड़ा गया।
👉- सीता फूलों से सूर्य की उपासना करती है।
👉- तृतीय अंक का प्रारम्भ विषकम्भक से होता है।
👉- उत्तररामचरित में कुल पात्रों की संख्या - 30
👉-उत्तररामचरित में तमसा व मुरला दो नदियाँ है।
👉- मंगलाचरण - में अनुष्टुप छन्द है।
👉- अमर सिन्धु गंगा को कहा गया है।
👉- सीता का हाथ विवाह के समय राम को मुनि शतानन्द ने सौंपा।
👉- पंचवटी गोदावरी नदी के समीप है।
👉- भवभूति का प्रियअंलकार - उपमा है।
👉- उत्तररामचरित का नायक -धीरोदात्त है।
👉 उत्तरामचरित की नायिका- सीता मुग्धा नायिका है।
👉- भवभूति का दार्शनिक नाम उम्बेक है।
👉- तृतीय अंक को छाया अंक के नाम से जाना जाता है, तृतीय अंक में घटना दण्डक वन व पंचवटी वन का है।
👉- तृतीय अंक में ही सीता परित्याग का वर्णन हमें प्राप्त होता है।
👉- भगवान् अगस्त्य की पत्नी का नाम लोपामुद्रा है।
👉- श्रेष्ठ नदी किसे कहा गया है - गोदावरी को।
👉- भवभूति का स्थिति काल - 700 ई. के लगभग।
👉- उत्तररामचरित के नायक व नायिका -नायक - भगवान श्री राम एवं नायिका-माँ जानकी है।
👉भवभूति का अंगीरस है - करुण।
👉उत्तररामचरित मे गुप्तचर का क्या नाम है - दुर्मुख।
👉भवभूति के पिता का नाम क्या है - नीलकण्ठ।
👉भवभूति की माता का नाम - जातुकर्णी था।
👉भवभूति का जन्मस्थान -दक्षिण भारत का पद्मपुर था।
👉भवभूति के पितामह का नाम क्या था-भट्टगोपाल।
👉भवभूति की नाटक कृतियाँ है -उत्तररामचरितम्, मालतीमाधव, महावीरचरितम्।
👉भवभूति के पूर्वज किस गोत्र में उत्पन्न हुए थे-काश्यप गोत्र में।
👉भवभूति किस शाखा का अध्ययन करते थे- तैत्तिरीय शाखा।
👉- महावीरचरितम् का दूसरा नाम-वीरचरितम्।
👉- उत्तररामचरित की विधा क्या है - रूपक।
👉द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न का वध किसने किया अश्वत्थामा ने।
👉अंजनपर्वा का वध किसके हाथों हुआ- अश्वत्थामा।
👉हरिवंश पुराण में कितने पर्व है - 03
👉धृतराष्ट्र के दामाद का क्या नाम था-जयद्रथ।
👉हरिद्वार से 2 मील दूर गंगा नदी और नीलधारा के संगम पर स्थित तीर्थ का नाम क्या है-कनखल।
👉शकुन्तला के पोषक पिता का नाम क्या था- कण्व।
👉द्रोणाचार्य की भार्या का नाम क्या था-कृपि।
👉बृहस्पति के बड़े पुत्र का नाम क्या था- कच।
👉श्रीकृष्ण के रुक्मणी से उत्पन्न पुत्र का क्या नाम था-प्रद्युम्न।
👉- महर्षि भृगु की पत्नी का नाम क्या था - पुलोमा।
👉भगवान त्रीकृष्ण के नाना कौन थे- देवक।
👉- सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का भाग क्या कहलाता था- ब्रह्मावर्त।
👉- द्रोणाचार्य के पिता का नाम क्या था-भारद्वाज।
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👉 हरिवंश पुराण में तीन पर्व है, इन पर्वो में कुल कितने अध्याय हैं -318
👉- वभ्रुवाहन किसका पुत्र था- अर्जुन ।
👉- कुरुक्षेत्र में किस स्थान पर कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया- ज्योतीसर ।
👉- दुर्योधन कितनी अक्षौहिणी सेना का स्वामी था- 11 अक्षौहिणी सेनाओं का।
👉- किस स्थान को ब्रह्म की यज्ञीय वेदी कहा जाता है- कुरुक्षेत्र को।
👉- शिखंडी किसके शिष्य थे- द्रोणाचार्य के।
👉 युधिष्टिर के लिए सभा-भवन का निर्माण किसने किया था- मय दानव ने।
👉महाभारत वन पर्व के अन्तर्गत कितने अध्याय है- 315
👉भीम द्वारा मारा गया अश्वत्थामा नाम का हाथी किस राजा का था- इन्द्रवर्मा का।
👉- यह ज्ञात हो जाने पर कि कर्ण पाण्डवों का भाई था, युधिष्ठिर ने किसे श्राप दिया- नारी जाति को।
👉- द्रौपदी के पिता द्रुपद का वध किसके हाथों हुआ-द्रोणाचार्य के हाथों।
👉- महाभारत युद्ध के कौन से दिन पितामह भीष्म शर-शैय्या को प्राप्त हुए - 10वें दिन।
👉- अर्जुन के पुत्र इरावत की माता का क्या नाम था-उलूपी।
👉 कर्ण वध के पश्चात किसने दुर्योधन को पाण्डवों से सन्धि का विचार दिया-कृपाचार्य ।
👉- मगध नरेश जरासंध ने मथुरा पर कितनी बार चढ़ाई की थी-18
👉- दुःशासन की छाती का रक्त पीने का प्रण किस पाण्डव ने किया था-भीम।
👉कर्ण के वध के उपरान्त किसके कहने पर दुर्याधन ने शल्य को सेनापति नियुक्त किया - अश्वत्थामा।
👉पितामह भीष्म ने कितने दिनों तक शर- शेय्या पर पड़े रहने के बाद अपने प्राण त्यागे -10
👉रणभूमि में श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप के दर्शन अर्जुन के अतिरिक्त और किसने किये- संजय।
👉- महाभारत में सुषेण किसका पुत्र था- कर्ण।
👉- युधिष्ठिर के राजसूर्य यज्ञ में ब्राह्मणो के चरण धोने का कार्य किसने किया- श्रीकृष्ण ने
👉- महाभारत में कौरव तथा पाण्डव सेनाओं का सम्मिलित संख्याबल कितने अक्षौहिणी था-18 अक्षौहिणी।
🙏धन्यवाद 🙏
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