मूर्खपण्डितकथा
(३) मूर्खपण्डितकथा
किसी नगर में चार ब्राह्मण मित्र-भाव से रहते थे। बचपन में ही उनके मन में विचार आया कि कहीं दूर जाकर पढ़ाई करनी चाहिए। ऐसा सोचकर दूसरे ही दिन वे ब्राह्मण विद्योपार्जन हेतु कान्यकुब्ज (कन्नौज) नगरी में चले गये। वहाँ एक विद्यालय में जाकर अध्ययन करने लग पड़े। बारह वर्षों तक एकाग्र-चित्त से अध्ययन करके वे विद्वान् बन गये।
तब उन चारों ने परामर्श किया कि हम अब समस्त विद्याओं में पारङ्गत हो गये हैं। इसलिए गुरुजी से पूछ कर अब इम अपने देश को लौट जाएंगे। इस प्रकार उपाध्याय से आज्ञा लेकर वे अपनी पुस्तकों को साथ लेकर अपने घर की ओर चल पड़े। कुछ ही दूर चलने पर आगे दो रास्ते आये। वहाँ वे सभी बैठ गये कि अब किस रास्ते से जाएं। इसी समय उस नगर में किसी व्यापारी के पुत्र की मृत्यु हो गई थी। व्यापारी-वर्ग उसे जलाने हेतु श्मशान घाट ले जा रहा था। तब उन चारों में से एक ने पुस्तक खोल कर देखा कि, "महाजनो येन गतः सः पन्था।" अर्थात् "महाजन (व्यापारी, अधिक लोग, महापुरुष) जिस मार्ग से जाएं वही उचित रास्ता होता है।" इसलिए अधिक लोग जिस मार्ग से जा रहे हैं उसी मार्ग से हमें भी जाना चाहिए। ऐसा निश्चय करके जब वे पण्डित व्यापारियों के साथ श्मशान घाट पहुँच गये ; तो उन्होंने वहाँ एक गधे को देखा। वे सोचने लगे कि यह क्या होगा ? तब उनमें से ही दूसरे पण्डित ने पुस्तक खोलकर देखा और बताया कि-'उत्सव, विपत्ति, दुर्भिक्ष एवं शत्रुसंकट तथा श्मशान घाट में जो मिले वह अपना सच्चा बन्धु होता है।'यथा"
उत्सवे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसङ्कटे।
राजद्वारे श्मशाने च यस्तिष्ठति स बान्धवः॥"
इसलिए यह हमारा बन्धु है। ऐसा कह कर कोई उससे गले मिलने लगा तो कोई उसके पैर धोने लग पड़ा। थोड़ी देर में उन पण्डितों की दृष्टि एक ऊंट पर पड़ी। वे सोचने लगे-यह क्या हो सकता है ? तब उनमें से तीसरे ने पुस्तक में देखकर बताया कि जो तीव्र गति से चलता है वह धर्म होता है। तो यह निश्चय ही धर्म है। तब चौथा पण्डित बोला कि "इष्टं धर्मेण योजयेत्'-अर्थात् अपने प्रिय को धर्म के साथ जोड़ देना चाहिए। ऐसा सुनकर उन्होंने गधे को ऊंट के गले से बाँध दिया। यह देखकर किसी ने उनके इस मूर्खतापूर्ण कृत्य की सूचना गधे के मालिक धोबी को दे दी। परन्तु जब तक धोबी उन मूर्ख पण्डितों की पिटाई करने के लिए वहाँ आया तब तक वे वहाँ से जा चुके थे। कुछ दूर चलने पर उन पण्डितों के रास्ते में एक नदी आई। उसकी धारा के बीच में पलाश का एक पत्ता बह रहा था। उसे देखकर एक ने कहा कि-"जो पत्ता आएगा वह हमें पार उतारेगा।" इस शास्त्रीय वाक्य को स्मरण करते ही उनमें से एक पण्डित ने उस पत्ते के ऊपर छलांग लगा दी। जब वह नदी में बहने लगा तो एक ने उसे केशों से पकड़ लिया। तभी उसे शास्त्रीय वाक्य ध्यान आया कि-'सर्वनाश होता देखकर बुद्धिमान् को चाहिए कि वह नष्ट होते हुए में से जितना हाथ आये उसी से काम चला ले क्योंकि सर्वनाश असहनीय होता है।" यथा
"सर्वनाशे समुत्पन्ने अर्धं त्यजति पण्डितः।
अर्धेन कुरुते कार्य, सर्वनाशो हि दुःसहः॥"
ऐसा सोच कर उस मूर्ख ने उसका सिर काट लिया और आगे चल पड़े। चलते-चलते वे एक ग्राम में जा पहुंचे। गाँव के लोग उनमें से एक-एक को अपने-अपने घर भोजन करवाने हेतु ले गये। उनमें से एक को किसी गृहस्वामी ने सेवइयां खाने को दी। उन्हें देखकर उस पण्डित को शास्त्रीय वाक्य याद आया-"दीर्घसूत्री विनश्यति" अर्थात् लम्बी-लम्बी सेवइयों वाला विनष्ट हो जाता है। (इस वाक्य का वास्तविक अर्थ है कि आलसी व्यक्ति बरबाद हो जाता है।) ऐसा सोच कर वह भोजन छोड़कर भूखा ही वापिस लौट गया। दूसरे को किसी ने गेहूँ के आटे की बनी हुई बड़ीबड़ी रोटियां दीं, उन्हें देखकर उसे शास्त्रीय वाक्य ध्यान आया कि अत्यधिक विस्तार से युक्त वस्तु चिरायु (लम्बी आयु) को देने वाली नहीं होती है। यह सोचकर वह भी भूखा ही वापस लौट गया। तीसरे को किसी ने दही-बड़े भोजन में
दिये। उसने उन छिद्रयुक्त बड़ों को जब देखा तो उसे शास्त्रीय वचन ध्यान में आया बहुली भवन्ति।" अर्थात् विपत्ति में और विपत्तियाँ आ घेरती हैं। परन्तु उसने इसका अर्थ लगाया कि छिद्र-युक्त वस्तु से बहुत-सी विपत्तियां आती हैं। कहीं मैं भी किसी आपत्ति में न फँस जाऊँ, यह सोचकर वह भी भूखा ही लौट आया।
इस प्रकार वे पढ़े-लिखे मूर्ख पण्डित शास्त्रों के शाब्दिक अर्थ लगाते हुए बुद्धि के अभाव में दुःखी हुए तथा लोक में भी उनका उपहास हुआ। अतः हमें चाहिए कि हम हर काम को पुस्तकों के शाब्दिक अर्थ के आधार पर ही नहीं अपितु उनके भावार्थ में अपनी समझ के अनुसार भी करें अन्यथा उन मूर्ख पण्डितों की भाँति उपहास को प्राप्त होंगे। शिक्षा-शास्त्रज्ञान के साथ लोकव्यवहार की जानकारी भी परमावश्यक है अन्यथा उपहास होता है। कहा भी है कि
"अपि शास्त्रेषु कुशला लोकाचार विवर्जिताः।
सर्वे ते हास्यतां यान्ति, यथा ते मूर्खपण्डिताः।"
Amisha 1901HI001
ReplyDeleteIshita
ReplyDeleteRoll no 1901HI070
Sonali Devi 1901hi039
ReplyDeleteShaveta kaler 1901hi058
ReplyDeleteShaweta Choudhary
ReplyDelete1901hi038
Shaweta Choudhary
ReplyDelete1901hi038
simran Devi
ReplyDelete1901hi077
major Hindi
2nd year
Shweta kumari 1901hi011
ReplyDeleteTanu Bala 1901hi079
ReplyDeleteAnu bala 180hi058
ReplyDeletePooja Devi
ReplyDelete1901HI029
Pooja Devi
ReplyDelete1901HI029
VIVEk kumar Pol science sr no 38
ReplyDeleteSakshi Devi 1901hi015
ReplyDeletePoonam Devi
ReplyDeleteSr no 23
Major political science
Major hindi name Priyanka sr no 39
ReplyDeleteManu
ReplyDeleteMajer history
Sr no... 75
Taniya sharma
ReplyDeleteSr no. 21
Pol. Science
Priyanka
ReplyDeleteSr.no - 9
Major - political science
Anshika Kumari
ReplyDeleteSr no. 7
Major hindi
Anshika Kumari
ReplyDeleteRoll no. 7
Major hindi
Jyotika Kumari Sr no 5 , major hindi
ReplyDeleteKomal Major Hindi sr no 43
ReplyDeleteShikha
ReplyDeleteMajor history
Sr .no. 7
Isha
ReplyDeleteMajor History
Sr.no 10
Sr. No.49
ReplyDeleteShivani Devi
ReplyDeleteMajor Hindi
Sr no 46
Arti
ReplyDeleteSr.no. 70
Mojer history�
Vishal bharti political science sr no 16
ReplyDeleteNAME-RIYA
ReplyDeleteMajor -History
Sr.no.76
Rishav Sharma major pol science 65
ReplyDeleteAarti
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Sr.no.5
Aarti
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Sr.no.5
Sr.No_60.
ReplyDeleteName- Sujata Sharma
ReplyDeleteSr.no.-8
Major- history
Mamta Bhardwaj
ReplyDeleteSr no. 01
Major. History
Mamta Bhardwaj
ReplyDeleteSr no. 01
Major. History
Roshan sr no 31 major Hindi
ReplyDeleteName. MOnika
ReplyDeleteSr.no 23
Major. History
Name. MOnika
ReplyDeleteSr.no 23
Major. History
Name Leela Devi
ReplyDeleteSr no 41
Major hindi
Name Pooja Choudhary
ReplyDeleteSr. No-18
Major Hindi
NAME ARTI SHARMA SR NO32
ReplyDeleteSejal kasav
ReplyDeleteMajor sub.- pol science
Sr.no.- 01
Monika Dadwal
ReplyDeleteMajor History
Sr No 72
Monika Dadwal
ReplyDeleteMajor History
Sr No 72
Priyanka Devi
ReplyDeleteSr.no.23
Major history
Diksha Devi
ReplyDeleteSr no.50
Major history
Akriti choudhary
ReplyDeleteMajor history
Sr 11
Name Sakshi
ReplyDeleteSr no 14
Major Hindi
Minor history
Name Richa Sr.no 35
ReplyDeleteMajor hindi
Name Akshita Kumari Major Political Science Sr.No 70
ReplyDeleteName - Varsha Devi
ReplyDeleteMajor - political science
Ser no. 24
Name Priyanka devi ,Major History ,Ser No 30
ReplyDeleteName_priya
ReplyDeleteMajor History sr.no6
akanksha sharma
ReplyDeletesr no 13major hindi
Sajid khan
ReplyDeleteSr.no.86
Major history
Mamta Devi major history
ReplyDeleteSr no147
Anu Devi
ReplyDeleteMajor-History
Ser.No.-85
Major Hindi
ReplyDeleteSR no 16