भर्तृहरि का जीवन परिचय

 🏵️भर्तृहरि का जीवन परिचय,🏵️

 भर्तृहरि संस्कृत साहित्य के एक ऐसे लोकप्रिय कवि हैं जिनके नाम से पढ़े लिखे अथवा अनपढ़ सभी भारतीय परिचित हैं। इनका पूरा नाम गोपीचन्द भर्तृहरि था जो लोक में तथा लोकगाथाओं में गोपीचन्द भरथरी के नाम से प्रसिद्ध हैं। ये ऐसे व्यक्ति थे जिन पर सरस्वती और लक्ष्मी की अपार कृपा थी। कारण यह कि भर्तृहरि विद्वान् लेखक तो थे ही साथ ही वे उज्जैन (मध्यप्रदेश) के राजा भी थे। जनश्रुति के अनुसार आज से लगभग 2000 वर्ष पूर्व भर्तृहरि जी मध्यप्रदेश में स्थित उज्जयिनी के राजा थे। ये परमार वंश में उत्पन्न हुए थे तथा विक्रमादित्य इनके छोटे भाई थे। ये वही विक्रमादित्य माने जाते हैं, जिन्होंने 57 ई० पू० में विक्रम संवत् चलाया था। विदेशी आक्रान्ताओं को भारत से भगाने के कारण विक्रमादित्य लोक कथाओं में वीर विक्रमाजीत के नाम से लोकविख्यात हुए हैं। विक्रमादित्य भर्तृहरि के भाई होने के कारण उनके मन्त्री थे। बाद में विद्याविलासी एवं ईश्वरभक्त भर्तृहरि ने विक्रमादित्य को ही राजकाज सौंप दिया था।

जनश्रुति है कि भर्तृहरि के तीन रानियाँ थीं। उनमें से सबसे छोटी का नाम पिंगला था। जो परमसुन्दरी थी तथा भर्तृहरि उसके मोहपाश में फंसे हुए थे। पिंगला भर्तृहरि को अपनी अंगुलियों पर नचाती थी। वे उसकी हर बात मानते थे। पिंगला सुन्दर होने के साथ-साथ व्यभिचारिणी भी हो गयी थी। राजकीय घुड़शाला के दरोगा के साथ उसके अवैध सम्बन्ध थे। पिंगला के मोहपाश में बँधे होने के कारण और स्त्रिया चरित्र के चलते भर्तृहरि इस बात को नहीं जान सके। परन्तु उनके छोटे भाई विक्रमादित्य को पिंगला के अवैध सम्बन्धों का पता चल गया। जब परिस्थितियाँ हद को पार करने लगी तो एक दिन साहस करके विक्रमादित्य ने यह बात भर्तृहरि जी से निवेदन कर दी। भर्तृहरि ने इसे उसका भ्रम बताया और चेतावनी दी कि वह भविष्य में ऐसी बात न करें। भर्तृहरि के न कहने पर भी किसी प्रकार इस शिकायत का पता पिंगला को लग गया। पिंगला ने विक्रमादित्य से बदला लेना चाहा। उसने भर्तृहरि से शिकायत की कि वह चरित्रहीन है और मुझे बुरी नज़र से देखता है। मुझे भी उनके इस कुकर्म पर भरोसा नहीं हो रहा था। परन्तु जब नगर के सेठ ने मुझे बताया कि वह मेरी पुत्रवधू के साथ अवैध सम्बन्ध स्थापित कर रहा है; तो मेरा शक विश्वास में बदल गया। पिंगला ने डरा धमका कर तथा लालच देकर अगले ही दिन नगर के सेठ को भर्तृहरि के पास झूठी शिकायत करने भेज दिया। उसने आकर भर्तृहरि से अपने परिवार के शील की रक्षा करने और विक्रमादित्य को दण्ड देने की प्रार्थना की। इस घटना से भर्तृहरि के मन में पिंगला द्वारा उत्पन्न किया गया शक विश्वास में बदल गया। राजा ने विक्रमादित्य को बुलाकर देश निकाला दे दिया।

इस घटना के वर्षों पश्चात् कोई ब्राह्मण राजा भर्तृहरि के पास एक अमर फल लेकर उपस्थित हुआ। फल की प्राप्ति के विषय में पूछे जाने पर उसने बताया कि मेरे उपास्य देव ने प्रसन्न होकर मुझे यह फल दिया है जिसके खाने से अमरत्व की प्राप्ति हो जाती है। मैं और मेरा परिवार ग़रीबी से पीड़ित है। अतः हमने सोचा कि यह फल राजा को दे दिया जाये ताकि कुछ धन की प्राप्ति हो। राजा ने ब्राह्मण को प्रचुर धन देकर वह फल ले लिया। राजा क्योंकि पिंगला को अपने प्राणों से भी अधिक प्यार करते थे, इसलिए उन्होंने यह फल पिंगला को दे दिया पिंगला घुड़शाला के दरोगा से प्यार करती थी उसने वह फल अपने चहेते दरोगा को दे दिया। दरोगा वस्तुतः किसी वेश्या से प्रेम करता था उसने वह फल वेश्या को दे दिया। जब फल वेश्या के पास पहुँचा तो उसने सोचा कि यदि मैं इस फल को खाती हूँ तो अमर होकर अनन्तकाल तक वेश्यावृत्ति रूपी इस कुकर्म को करूंगी जो उचित नहीं है। इससे अच्छा है कि मैं यह फल अपने प्रजापालक राजा भर्तृहरि को दे दूँ ताकि वे अनन्तकाल तक प्रजाओं को सुख दे सकें। ऐसा सोचकर उसने वह फल राजा को दे दिया।

फल को पाकर राजा आश्चर्य चकित हो गया। छानबीन करने पर राजा को फल की यात्रा के सभी पड़ावों का पता चल गया। इस घटना से उनके मन में वैराग्य का तीव्र भाव जाग उठा। उन्होंने किसी को भी कुछ कहे वगैर संन्याय लेने का निश्चय किया। उन्होंने राजदूतों के माध्यम से विक्रमादित्य का पता लगाकर उसे बुलाया तथा उससे अपने अपराध की क्षमा मांगी और राज्य उसे सौंप दिया। भर्तृहरि संन्यासी होकर चले गये।

भर्तृहरि के जीवन का यह प्रसंग यद्यपि किम्वदन्ती पर आधारित है तथापि इन्हीं की रचना नीतिशतक में उपलब्ध निम्नश्लोक इसकी सत्यता की पुष्टि करता है। श्लोक है

यां चिन्तयामि सततं मयि सा विरक्ता

 साप्यन्यमिच्छति जनं स जनोऽन्यसक्तः । 

अस्मत्कृते च परितुष्यति काचिदन्या

धिक् तां च तं च मदनं च इमां च मां च॥ 

वैरागी भर्तृहरि शिव के परम भक्त थे। यद्यपि डॉ० कीथ ने उन्हें बौद्ध बताया है तथापि उनकी रचनाओं में अनेक ऐसे प्रमाण हैं जहाँ उन्होंने शिव, एवं ब्रह्म का वर्णन किया है। जैसे "शम्भु स्वयंभू हरयो हरिणेक्षणानाम्" शृंगार शतक के इस प्रथम पद्य में भर्तृहरि जी ने शिव, ब्रह्म और विष्णु का स्मरण किया है। इसी प्रकार वैराग्यशतक में एक स्थान पर उन्होंने कहा है कि मेरी दृष्टि में ब्रह्म, विष्णु और महेश एक ही हैं। यथा

महेश्वरे वा जगतामधीश्वरे जनार्दने वा जगदन्तरात्मनि।

तयोर्न भेदप्रतिपत्तिरस्ति मे तथापि भक्तिस्तरुणेन्दुशेखरे॥ 

स्पष्ट है कि कि वे शैव थे। उनका शैव होना वैराग्यशतक के उनके निम्न पद्यांश से भी सिद्ध होता हैं जहाँ उन्होंने कहा है कि संसार में केवल शिव ही निर्भय के दाता है। यथा

"सर्वं वस्तु भयान्वितं भुविनृणां शम्भोः पदं निर्भयम्।" 

इनके गुरु का नाम वसुरात था, जिन्होंने “आगमसंग्रह" नामक व्याकरण की पुस्तक की रचना की थी। इस तथ्य का संकेत भर्तृहरि जी ने स्वयं अपने ग्रन्थ वाक्यपदीय के द्वितीय काण्ड में किया है।


Comments

  1. Sejal kasav
    Major sub.- pol science
    Minor sub.- hindi
    Sr.no.- 01

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  2. Poonam devi
    Sr no 23
    Major political science

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  3. Name Priyanka devi, Major History,Ser No 30.

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  4. Riya Devi
    Sr.no _37
    Majer pol science

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  5. Vishal bharti
    Major political science
    Sr no 16

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  6. Sr no.=5
    Name =jyotika Kumari
    Major =Hindi

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  7. Riya thakur
    Sr. No. 22
    Major political science

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  8. Rishav sharma major pol science sr no 65

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  9. Name pallavi pathania majer history sr. 45

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  10. Akriti choudhary
    Major history
    Sr no 11

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  11. Name-Riya
    Major - History
    Sr.no.76

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  12. Name arti sharma Sr no 32 Major Hindi

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  13. Raman Pathania major pol science sr. No. 55

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  14. Name-Pooja choudhary
    Sr no. 18
    Major Hindi

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  15. Priyanka Devi
    Sr.no.23
    Major history

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  16. Akshita Kumari Major Political Science Sr. No. 70

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  17. Divya Kumari
    Major pol science
    Sr.No 60

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  18. Name Anjlee
    Major history
    Sr no 36

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  19. Mamta devi major history sr no 147

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  20. ektaekta982@gmail.com
    Name Varsha Devi Pol 24

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  21. Name - Anjli
    Major-pol science
    Minor - history
    S.no -73

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  23. Poonam devi
    Sr no 23
    Major political science

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  24. Tanvi Kumari
    Sr. No. 69
    Major . Pol. Science

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  25. Monika kalia
    Rollno2001HS014
    Major history

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  26. Name Priya major history Roll Number 2001HS029

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  27. Shivam choudhary
    Roll no. 2001PS017
    Major political science

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  28. Sejal Kasav
    Major sub.-pol science
    Minor sub.-hindi
    Roll no.-2001PS001

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  29. Name Akshita Kumari Major Political Science Roll No 2001PS035

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  30. Tanvi Kumari
    Roll no. 2001PS036
    Major political science

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  31. Priyanka choudhary major political science and minor Hindi sr no 12

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  32. Mehak
    Roll no.2001PS004
    Major political science

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  33. Anuj Riyal
    Major __ Political Science
    Minor __ History
    Roll no. __ 2001PS025

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  34. Name jyotika Kumari Major hindi Sr no 5

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  35. Name Sejal Mehta
    Sr no 33
    Major Hindi
    Minor History

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  36. Name Neha devi major history Sr no 62

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  37. Varsha Devi ,,major political science,,sr no.24

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  38. Sonali dhiman major political science sr no. 19

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  39. Divya Kumari major political science minor history sr.no 60

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  40. Name -Riya
    Major -History
    Sr. No. -76

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  41. Chetna choudhary Major pol science minor Hindi sr no 13

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  42. Name rahul kumar
    Major history minor hindi
    Sr no. 92

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  43. Name monikasharma sr no.26 major hindi

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  44. Taniya sharma
    Pol. Science
    Sr no 21

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  45. Taniya sharma
    Pol. Science
    Sr no 21

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  46. Sourabh singh major Hindi minor history Sr no 20

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  47. Anjli
    Major political science
    Minor history
    Roll.no 2001PS054

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  48. Jagriti Sharma
    Roll no. 2001HI003
    Major-Hindi
    Minor-History

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  49. Swati kalia
    Major history
    Sr no 68

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  50. Name:Palak
    Sr. No. 22
    Major:Hindi
    Minor:History

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