मधुच्छंदा
मधुच्छंदा - ऋग्वेद के प्रथम मंडल के प्रथम दस तथा नवम
मंडल के प्रथम सूक्त के द्रष्टा। विश्वामित्र मुनि के सौ पुत्रों
में से ये 51 वें पुत्र थे। ये शर्याति के पुरोहित थे। इन्हें
धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा राजसूय यज्ञ के लिये आमंत्रित किया
गया था। (भागवत- 10-74-9 तथा वायुपुराण 91-96)।
इन्हें जेता तथा अधमर्षण नामक दो पुत्र थे । इन्होंने ऋण्वेद
के लिये तथा इनके पिता ने अर्थववेद के लिये ऋचायें रचीं
थी। इसलिये इन्हें अथर्ववेद तथा ऋग्वेद के बीच की कड़ी
मानते हैं।
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