मैक्समूलर

 मैक्समूलर

वैदिक वाङ्मय के अध्ययन व अनुशीलन में लगा दिया था।

इनका जन्म जर्मनी के देसाउ नामक नगर में 6 दिसंबर 1823

ई. को हुआ था। इनके पिता प्राथमिक पाठशाला के शिक्षक

थे। पिता का देहांत 33 वर्ष की आयु में ही हो गया था।

उस समय मैक्समुलर की आयु 4 वर्ष की थी। 6 वर्ष से

12 वर्ष की आयु तक इन्होंने ग्रामीण पाठशाला में ही अध्ययन

किया। फिर लैटिन भाषा के अध्ययन के लिये इन्होंने 1836

ई. में लिजिग विश्वविद्यालय में प्रवेश किया और 5 वर्षों

तक वहां अध्ययन करते रहे। अल्पायु में ही इन्हें संस्कृत

भाषा के अध्ययन की रुचि उत्पन्न हो गई थी। विश्वविद्यालय

छोड़ने के बाद ही ये जर्मनी के राजा द्वारा इंग्लैण्ड से खरीदे

गए संस्कृत-साहित्य के बृहद् पुस्तकालय को देखने के लिये

बर्लिन गए। वहां उन्होंने वेदान्त व संस्कृत-साहित्य का अध्ययन

किया। बर्लिन का कार्य समाप्त होते ही वे पेरिस गए। वहां

इन्होंने एक भारतीय की सहायता से बंगला भाषा का अध्ययन

किया और फ्रेंच भाषा में बंगला का एक व्याकरण लिखा।

वहीं रहकर इन्होंने ऋग्वेद पर रचित सायणभाष्य का अध्ययन

किया। इन्होंने 56 वर्षों तक अनवरत गति से संस्कृत-साहित्य

व ऋग्वेद का अध्ययन किया, और ऋग्वेद पर प्रकाशित हुई

विदेशों की सभी टीकाओं को एकत्र कर उनका अनुशीलन

किया। इन्होंने सायण-भाष्य के साथ ऋग्वेद का अत्यंत

प्रामाणिक शुद्ध संस्करण प्रकाशित किया, जो 6 सहस्र पृष्ठों

एवं 4 खंडों में समाप्त हुआ। इस ग्रंथ का प्रकाशन, ईस्ट

इंडिया कंपनी की ओर से 14 अप्रैल 1847 ई. को हुआ।

मैक्समुलर के इस कार्य की तत्कालीन यूरोपियन संस्कृतज्ञों ने

भूरि-भूरि प्रशंसा की। फिर अपने अध्ययन की सुविधा देख

कर मैक्समूलर इंग्लैण्ड चले गए और मृत्यु पर्यन्त लगभग

50 वर्षों तक वहीं रहे। इन्होंने 1859 ई. में अपना विश्वविख्यात

ग्रंथ संस्कृत साहित्य का प्राचीन इतिहास लिखा और वैदिक

साहित्य की विद्वत्तापूर्ण समीक्षा प्रस्तुत की। 1 जुलाई 1900

में मैक्समुलर रोग ग्रस्त हुए और रविवार 18 अक्तूबर को

उनका निधन हो गया। इन्होंने भारतीय साहित्य और दर्शन

के अध्ययन और अनुशीलन में यावज्जीवन घोर परिश्रम किया।

इन्होंने तुलनात्मक भाषाशास्त्र एवं नृतत्वशास्त्र के आधार पर

संस्कृत साहित्य के ऐतिहासिक अध्ययन का सूत्रपात किया

था। इनके ग्रंथों के नाम हैं : 1) ऋग्वेद का संपादन 2)

ए हिस्ट्री ऑफ दि एंश्येंट संस्कृत लिटरेचर 3) लेक्नर्स ऑन

दि साइंस ऑफ लेंग्वेज (दो भाग) 4) ऑन स्ट्रेटिफिकेशन

ऑफ लेंग्वेज बायोग्राफीज ऑफ वंडर्स एण्ड 5) टीम ऑफ 

आर्याज् 6) इंट्रोडक्शन टु दि साइंस ऑफ रिलिजन् 7) लेक्कर्स 

ऑन ओरीजन एण्ड ग्रोथ ऑफ रिलिजन ऐज इलस्ट्रेटेड बाय दि

 रिलिजन्स ऑफ् इंडिया 8)नेचुरल रिलिजन् 9) फिजीकल 

रिलिजन 12) कांट्रिब्यूशन टु दि साईंस ऑफ साइकॉलॉजी 13)

 हितोपदेश का जर्मन अनुवाद 14) मेघदूत का जर्मन अनुवाद 

15) धम्मपद का जर्मनअुनवाद 16) उपनिषद् ( जर्मन अनुवाद) 

17) दि सेक्रेड क्बुस ऑफ दि इस्ट सीरीज (ग्रंथमाला) के 48 

खंडों का संपादन।


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