स्थितप्रज्ञ स्वरूप

 🏵️ स्थितप्रज्ञ स्वरूप🏵️

जब मनुष्य अपने मन में सभी कामनाओं को पूर्ण रूप से त्याग देता है तथा अपने आप में सन्तोष का अनुभव करने लग जाता है उसे स्थितप्रज्ञ कहते हैं। ऐसी अवस्था में पहुँच जाने पर वह अपने आप में दुःखों का अनुभव नहीं करता। वह सुखों की कामना भी छोड़ देता है। वह सांसारिक सुखों की ओर आकर्षित नहीं होता है। वह कामक्रोध-लोभ-मोह आदि से रहित हो जाता है। किसी भी वस्तु की ओर उसकी आसक्ति नहीं होती है। वह इष्ट तथा अनिष्ट की प्राप्ति होने पर समभाव बनाए रहता है। इसके लिए दृष्टान्त दिया गया है। कछुआ किसी भी प्रकार का संकट आने पर अपने सभी अंगों को समेट लेता है। इसी प्रकार स्थितप्रज्ञ मनुष्य भी अपनी इन्द्रियों को विषयों से दूर कर लेता है। इस प्रकार इन्द्रियों को विषयों से दूर कर लेने पर विषयों से तो निवृत्त हो जाता है। उसमें विषयों की ओर आसक्ति पूर्ववत् रहती है। स्थितप्रज्ञ पुरुष की आसक्ति भी परमात्मा से साक्षात्कार हो जाने पर निवृत्त हो जाती है। इस प्रकार की आसक्ति रहने पर इन्द्रिय बलात् मनुष्य के मन को बलपूर्वक बुराइयों की ओर ले जाती है। यदि मनुष्य अपने मन को परमात्म-तत्त्व में लगा ले तो उसकी बुद्धि स्थिर हो जाती है।

यदि मनुष्य विषयों का चिन्तन करता रहे तो उसमें विषयों की ओर आसवित निश्चित है। आसवित से कामना। उत्पन्न होती है। कामना में विघ्न उत्पन्न होने पर उसमें क्रोध उत्पन्न होता है। इस क्रोध से सम्मोह उत्पन्न होता है सम्मोह से मनुष्य में स्मृति विभ्रम उत्पन्न होता है। इस स्मृति भ्रंश से बुद्धि का नाश होता है। बुद्धि नाश से मनुष्य का नाश हो जाता है जो इन्द्रियों को वश में करके उन्हें राग-द्वेष से हटाकर विषयों में भी विचरण करता है उसका अन्त:करण निर्मल हो जाता है। इस प्रकार वह अन्त:करण में प्रसन्नता को प्राप्त करता है। इस प्रसन्नता से सभी दुःखों) का नाश हो जाता है। प्रसन्नचित्त मनुष्य की बुद्धि परमात्म तत्त्व में स्थिर हो जाती है। जिसकी बुद्धि परमात्म-तत्त्व में नहीं लगती उसे अयुक्त कहते हैं। अयुवत पुरुष की बुद्धि निश्चयात्मिका नहीं होती। ऐसे पुरुष के अन्त:करण में भावना भी नहीं होती। भावना के बिना मनुष्य शान्ति प्राप्त नहीं कर सकता। इस प्रकार मनुष्य शान्ति के बिना सुख प्राप्त नहीं कर सकता है। अयुवत पुरुष को एक इन्द्रिय मन के साथ रह कर हरण कर लेती है। जिस प्रकार जल में चलने वाली नाव को वायु चलाकर दूर ले जाती है। इस प्रकार मन व इन्द्रियाँ नियन्त्रण से बाहर हो जाती हैं। जिस पुरुष की इन्द्रियां वश में हैं, उसकी बुद्धि स्थिर होती है। साधारण मनुष्य व योगी में अन्तर होता है। योगी अध्यात्म तत्त्व को ही परम तत्त्व मानता है। अध्यात्म तत्त्व को साधारण मनुष्य व्यर्थ की वस्तु मानता है। सांसारिक विषयों को कर्मयोगी व्यर्थ की वस्तु मानता है।

नदियाँ चारों ओर से बहकर स्थिर समुद्र में प्रवेश करती हैं। समुद्र को नदियां विचलित नहीं कर पातीं। इसी प्रकार स्थित प्रज्ञ मनुष्य को विषय-भोग अन्त:करण में प्रवेश करने पर भी उसे विचलित नहीं कर पाते। ऐसा पुरुष शान्ति को प्राप्त करता है। जो पुरुष सम्पूर्ण कामनाओं का त्याग करके ममत्व, अहंकार व स्पृहा को त्याग कर विचरण करता है, वही शान्ति को पाता है। यह ब्राह्मी स्थिति है। ब्राह्मी स्थिति को प्राप्त मनुष्य कभी भी मोहित नहीं होता है।

Comments

  1. Vishal bharti
    Major . Political science
    Sr no .16

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  2. Name Simran kour
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  3. Jagriti Sharma
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    Major-Hindi

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  4. Name-Riya
    Major - History
    Sr.no.76

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  5. Anshika Kumari
    Sr. No. 7
    Major Hindi
    Minor History

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  6. Major hindi name Priyanka sr no 39

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  7. Priyanka Devi
    Sr.no.23
    Major history

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  8. Name. MOnika
    Sr.No. 23
    Major. History

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  9. Name. MOnika
    Sr.No. 23
    Major. History

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  10. Akriti choudhary
    Major history
    Sr no 11

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  11. Nikita Koundal
    Sr.no.27
    Major history

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  12. Nikita Koundal
    Sr.no.27
    Major history

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  13. Nikita Koundal
    Sr.no.27
    Major history

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  14. Name jyotika Kumari Major hindi Sr no 5

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  15. Sakshi
    Sr no 14
    Major hindi
    Minor history

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  16. Akriti choudhary
    Major history
    Sr.no 11

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  17. Priyanka devi serial no 25 major Hindi

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  18. MAmta Devi major history sr no 147

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  19. Sourabh singh major Hindi minor history Sr no 20

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  20. VIVEk Kumar Pol science sr no 38 dehri

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  21. Sanjna Dhiman
    Sr no. 10
    Major English

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  22. Jagriti Sharma
    Serial no. 2
    Major- Hindi

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  23. Name Richa Sr.no 35
    Major hindi

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  24. Kartikdhiman sr no06
    Major English
    Dehri collage

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  25. Monikasharma sr no.26 major hindi sr no.26 major hindi

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  27. Pallvi choudhary
    Major- pol. Sc
    Minor- history
    Sr. No-72

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  28. Name rahul Kumar
    Major history
    Sr no. 92

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