Ved,, वेद
वेद भारत के सबसे प्राचीन धर्म ग्रंथ है। इसका संकलन महर्षि कृष्ण व्यास द्वैपाजन जी ने किया था। वेद का अर्थ है – ज्ञान ( knowledge ) ।इनसे आर्यों के आने व रहने का ज्ञान मिलता है।
चारो वेदों के रचयिता कौन है – महर्षि कृष्ण व्यास द्वैपायन ( वेदव्यास )
चार वेदों के नाम –
1. ऋग्वेद
2. यजुर्वेद
3. सामवेद
4. अथर्ववेद
ऋग्वेद – ऋग्वेद की रचना किसने की है – वेदव्यास
यह सबसे प्राचीनतम वेद ग्रंथ है। इसकी रचना ‘सप्त सैंधव क्षेत्र‘ में हुई। ऋग्वेद में 10 मंडल, 1028 श्लोक ( 1017 सूक्त और 11 बालखिल्य ) और लगभग 10600 मंत्र हैं। इस वेद मे अग्नि, सूर्य, इंद्र, वरुण देवताओं की प्रार्थना का वर्णन है। ‘गायत्री मंत्र’ का उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है, यह मंत्र सूर्य की प्रार्थना है। दसवें मंडल में ‘पुरुष सूक्त‘ है। इसमें चार वर्णों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र का वर्णन मिलता है।
यजुर्वेद –
यदु का अर्थ ‘यज्ञ’ होता है। इस वेद में यज्ञों के नियम व विधि वर्णन मिलता है। यजुर्वेद कर्मकांड प्रधान ग्रंथ है। इसका पाठ करने वाले ब्राह्मणों को ‘अध्वर्यु‘ कहा जाता है।
यजुर्वेद के दो भाग है –
1. कृष्ण यजुर्वेद ( गघ )
2. शुक्ल यजुर्वेद ( पद्य )
यजुर्वेद ऐसा वेद है जिसे गद्य और पद्य दोनों में लिखा गया है।
सामवेद –
साम का अर्थ है – गीत। इसके ऋचाओं को ‘सामयोति‘ कहते हैं। सामवेद को भारतीय संगीत का जनक माना जाता है। सामवेद पाठ करने वाले ब्राह्मणों को उद्गाता कहते हैं।
अथर्ववेद –
अथर्व का अर्थ पवित्र या जादू है। इस वेद में रोग – निवारण, राजभक्ति, विवाह, प्रणयगीत, अंधविश्वासों आदि का वर्णन मिलता है। इस वेद में राजा परीक्षित को ‘कुरुओं का राजा’ कहा गया है।
वेद उपवेद प्रणेता
ऋग्वेद आयुर्वेद धनवंतरी
यजुर्वेद धनुर्वेद विश्वामित्र
सामवेद गंधर्ववेद भरतमुनि
अथर्ववेद शिल्पवेद विश्वकर्मा
ब्राह्मण ग्रंथ-
वेदों की गद्य रचना को ब्राह्मण ग्रंथ कहते हैं। प्रत्येक वेद के कुछ ब्राह्मण ग्रंथ निम्न लिखित हैं।
वेद – ब्राह्मण ग्रंथ
ऋग्वेद – कोषीतकी व ऐतरेय
यजुर्वेद – तैतिरीय व शतपथ
सामवेद – पंचविश व जैमिनीय
अथर्ववेद – गोपथ ब्राह्मण
वेदांग –
वेदों का अर्थ बताने व सही उच्चारण के लिए वेदांग की रचना की गई थी। वेदांगों की संख्या 6 है।
1. शिक्षा –
वैदिक वाक्यों के सही उच्चारण के लिए इसका निर्माण हुआ था।
2. कल्प –
इसकी रचना वैदिक कर्मकांड को सही तरीके से करने के लिए विधि व नियमो का वर्णन किया गया है।
3. व्याकरण –
इसमें नाम व धातुओं की रचना, उपसर्ग, प्रत्यय के प्रयोग हेतु नियमों का वर्णन है।
4. निरुक्त –
निरूक्त मे शब्दों की उत्पत्ति हुई के नियम है। यह भाषा – शास्त्र का प्रथम ग्रंथ माना जाता है।
5. छंद –
इसमें वैदिक साहित्य के गायत्री, त्रिष्टुप, जगती, वृहती का प्रयोग किया जाता है।
6. ज्योतिष –
इसमें ज्योतिष शास्त्र के विकास को दिखाया गया है। इसके प्राचीनतम आचार्य लगथ मुनि थे।
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